India News (इंडिया न्यूज), Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम स्पष्ट हो चुका है। 48 सीटों पर जीत हासिल करके बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है। 27 वर्षों के बाद दिल्ली की सत्ता में भाजपा की वापसी हो रही है, तो वहीं दूसरी तरफ पिछले 10 वर्षों से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी का पूरी तरफ से सफाया हो गया है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सतेंद्र जैन सहित कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं। तो वहीं दूसरी तरफ अगर हम देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो वो अब इतिहास बनती जा रही है। वर्तमान में उसका कोई भविष्य नहीं दिख रहा है। खासकर दिल्ली में जनता ने कांग्रेस को सिरे से नकार दिया है। लगातार तीसरे चुनाव में कांग्रेस शून्य का स्कोर बनाने में कामयाब रही है।
आप को हराने से कांग्रेस को क्या मिला?
कांग्रेस एक बार फिर दिल्ली की राजनीति में अपना खाता खोलने में नाकाम रही है। इस तरह कांग्रेस को दिल्ली में चौथी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद भी कांग्रेस खुश क्यों है और केजरीवाल की हार को अपने लिए खुशखबरी क्यों मान रही है? दिल्ली में 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस तीसरी बार एक भी सीट नहीं जीत पाई है। कांग्रेस के ज्यादातर उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। दिल्ली में हारने के बाद भी कांग्रेस जादूगर बनकर उभर रही है, इस बात को अलका लांबा से लेकर संदीप दीक्षित तक खुलकर कह रहे हैं।
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हार में जीत क्यों देख रही कांग्रेस?
अगर आप आंकड़ों का अध्ययन करें तो, आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं को चुनावी हार का सामना करना पड़ा है। जितने वोटों से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अपनी सीट हारे, उससे कहीं ज्यादा वोट कांग्रेस के उम्मीदवार हासिल कर पाए। ऐसा सिर्फ दो सीटों पर ही नहीं हुआ है, बल्कि एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर आप की हार का कारण कांग्रेस बनी है। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ मिलकर लड़ती तो दिल्ली की तस्वीर कुछ और होती। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सिर्फ दो फीसदी वोटों का अंतर है, जबकि कांग्रेस का वोट छह फीसदी से ज्यादा है।
कांग्रेस की जमीन पर उभर रही आप
कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार में अपनी जीत देख रही है। दिल्ली में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है। 2020 में कांग्रेस को साढ़े चार फीसदी वोट मिले थे, लेकिन 2025 में उसे 6.38 फीसदी वोट मिले। दिल्ली में कांग्रेस का वोट दो फीसदी बढ़ा है, इस दो फीसदी के अंतर की वजह से आम आदमी पार्टी कई सीटें हार गई है। दिल्ली में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करके आम आदमी पार्टी ने 2013 में अपनी जड़ें जमाईं और 11 साल तक राज किया। आम आदमी पार्टी दिल्ली ही नहीं बल्कि पंजाब और गुजरात में भी कांग्रेस की जमीन पर उभरी।