इंडिया न्यूज:(Custodial Deaths)अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज के पास, मीडिया के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। दोनों पुलिस कस्टडी में होने के कारण इस केस को कस्टोडियल डेथ के तौर पर भी देखा जा रहा है। क्या आपको पता है, कस्टोडियल डेथ क्या होता है? अगर नहीं जानते तो आइए बताते हैं हम इससे जुड़ी ये खास बातें।
- क्या है कस्टोडियल डेथ?
- क्या है इसके लिए कानून?
क्या है कस्टोडियल डेथ?
जब किसी आरोपी की मौत पुलिस की कस्टडी या फिर न्यायिक हिरासत में होने के दौरान हो जाती हैं, तो इसे कस्टोडियल डेथ कहा जाता है। जिस तरीके से अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की गई, इसको कस्टोडियल डेथ की तरह ही देख सकते हैं। इसकी कई वजह हो सकती है। इसको पुलिस की लापरवाही भी कहीं जा सकती है।
क्या है इसके लिए कानून?
अगर यह साबित हो जाए कि किसी अपराधी की हत्या पुलिस कस्टडी में होने पर पुलिस की लापरवाही से हुई हैं, तो इसके लिए पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 7 और 29 के तहत जिन पुलिस अधिकारियों की लापरवाही से यह घटना घटित हुई है। उनको उनके पद से तुरंत ही बर्खास्त कर दिया जाएगा और दंड की भी सजा हो सकती है।
साल 2017 से 2018 के बीच पुलिस के हिरासत में होने के दौरान देश में कुल 146 मामले सामने आ चुके है।
- 2018-2019 में 136 मामले,
- 2019-2020 में 112 मामले,
- 2020-2021 में 100 मामले,
- 2021-2022 में 175 मामले।
उत्तर प्रदेश में कुल कस्टडी में मौतों की संख्या 41 है। 2017 से 2022 तक कुल 41 लोगों की पुलिस के कस्टडी में मौत हो चुकी है।
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