India News (इंडिया न्यूज), DeepSeek AI Banned In India : चीनी एआई टूल DeepSeek R1 AI के मार्केट में आते ही पूरी दुनिया में बवाल मचा हुआ है। इस चीनी एआई टूल को अमेरिका समेत कई देश पहले ही बैन कर चुके हैं। इन सभी ने इस पर आरोप लगाया है कि चीनी स्टार्टअप कंपनी डीपसीक R1 एआई टूल पर यूजर्स का डेटा चीन को भेज रही है। लेकिन अब एक रिसर्च फर्म ने इस बात को कंफर्म किया है कि इस चैटबॉट के लिंक चीन से जुड़े हुए हैं। रिसर्च फर्म की तरफ से दावा किया गया है कि डीपसीक के कोड अमेरिका में बैन हो चुके चाइना मोबाइल के हैं। यह चीनी टेलीकॉम ऑपरेटर अमेरिका में 2019 से ही बैन है।

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‘डीपसीक AI का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं’

इस मु्द्दे पर AP की रिपोर्ट की माने तो, डीपसीक में ऐसे कोड हैं जो यूजर्स के लॉग-इन जानकारी को चाइना मोबाइल को भेजते हैं। वहीं कनाडा बेस्ड रिसर्च फर्म Feroot ने .हां तक दावा किया है कि डीपसीक एआई का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है। कई और इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स ने भी दावा किया है कि डीपसीक एआई यूजर्स के डेटा को चीन भेजता है। बता दें कि 2019 में अपने कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने चीनी टेलीकॉम ऑपरेटर पर राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बताते हुए प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि, सिक्योरिटी रिसर्च फर्म ने एआई टूल के कोड के बारे में ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की है।

रिसर्च फर्म की तरफ से दावा किया गया है कि डीपसीक एआई यूजर के लॉग-इन इंफॉर्मेशन को चाइना मोबाइल को भेजता है। रिसर्च फर्म ने वेब लॉग-इन के कोड की जांच करने पर यह जानकारी दी है। हालांकि, इसके मोबाइल ऐप को अभी फर्म ने एनालाइज नहीं किया है।

भारतीय वित्त मंत्रालय ने इस्तेमाल पर लगाया रोक

जानकारी के लिए बता दें कि DeepSeek AI पर सबसे पहले बैन अमेरिका के टेक्सस में लगाया गया था। वहां पर सरकारी कर्मचारियों को इस एआई टूल के अपने डिवाइस में नहीं रखने के निर्देश दिए थे। NASA ने भी डीपसीक के इस्तेमाल पर रोक लगाई हुई है। इसके अलावा भारत के वित्त मंत्रालय ने भी अपने कर्मचारियों को डीपसीक और चैटजीपीटी जैसे किसी एआई टूल के इस्तेमाल पर रोक लगाया है।

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