India News (इंडिया न्यूज), First exit poll in India: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एग्जिट पोल क्या होता है और इसकी शुरुआत कब हुई। अब सवाल यह है कि एग्जिट पोल क्या होता है? आपको बता दें कि एग्जिट पोल एक सर्वे होता है, जो मतदान के दिन जारी किया जाता है।

इस सर्वे के दौरान वोट देकर बाहर आने वाले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया है। इस तरह से कंपनियां डेटा का विश्लेषण करके यह जानने की कोशिश करती हैं कि किसकी सरकार बन रही है। इसे एग्जिट पोल कहते हैं।

क्या एग्जिट पोल की शुरुआत सबसे पहले इसी देश में हुई थी?

आज भारत के अलावा कई ऐसे देश हैं जहां चुनाव से पहले और बाद में एग्जिट पोल दिखाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले एग्जिट पोल किस देश में दिखाया गया था। आपको बता दें कि सबसे पहला एग्जिट पोल 1936 में अमेरिका में हुआ था, उस समय जॉर्ज गैलप और क्लाउड रॉबिन्सन ने न्यूयॉर्क में एक सर्वे किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय मतदान केंद्रों से बाहर आने वाले मतदाताओं से पूछा जाता था कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए किस उम्मीदवार को वोट दिया है। इस एग्जिट पोल में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के जीतने की भविष्यवाणी की गई थी, जो चुनाव नतीजों में सच साबित हुई। इसके बाद एग्जिट पोल का चलन पूरी दुनिया में तेजी से फैल गया। जानकारी के मुताबिक, इसके बाद सबसे पहले एग्जिट पोल 1937 में ब्रिटेन और 1938 में फ्रांस में कराए गए।

भारत में पहला एग्जिट पोल

अब सवाल यह है कि भारत में पहला एग्जिट पोल कब आया। आपको बता दें कि भारत में पहला एग्जिट पोल 1957 में दूसरे आम चुनाव में कराया गया था। उस समय इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने यह पोल कराया था। हालांकि, इसे पूरी तरह एग्जिट पोल नहीं कहा गया। इसके बाद 1980 में डॉ. प्रणय रॉय ने पहला एग्जिट पोल कराया। 1996 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल की खूब चर्चा हुई थी, क्योंकि एग्जिट पोल दूरदर्शन पर दिखाए जाते थे।

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आपको बता दें कि भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि एग्जिट पोल के नतीजे टीवी पर दिखाए गए थे। यह सर्वे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने कराया था। उस चुनाव में एग्जिट पोल ने खंडित जनादेश की भविष्यवाणी की थी। आपको बता दें कि बाद में भी ऐसा ही हुआ। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से दूर रही। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उन्हें 13 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा।

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