India News (इंडिया न्यूज), Delhi Government vs MCD: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह साफ करते हुए कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास सरकार की सहमति के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में सदस्यों को नामित करने का अधिकार है।
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह अधिकार दिल्ली नगर निगम अधिनियम से आता है, इसलिए उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह मानने की ज़रूरत नहीं है। चूंकि यह एक वैधानिक शक्ति है और कार्यकारी नहीं है, इसलिए उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह के अनुसार नहीं, बल्कि वैधानिक आदेश का पालन करना था।
- सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल की मनोनयन शक्ति पर दिया फैसला
- दिल्ली नगर निगम अधिनियम से प्राप्त शक्ति
- उपराज्यपाल वैधानिक आदेश का पालन करते हैं, सरकार की सलाह का नहीं-SC
10 एल्डरमैन के नामांकन को लेकर विवाद
एमसीडी में 10 एल्डरमैन के नामांकन को लेकर विवाद के बीच, सीजेआई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना 10 एल्डरमैन नामित करने के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के फैसले के संबंध में 17 मई, 2023 तक फैसला सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली सरकार को झटका
सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर अपना फैसला सुनाया जिसमें उसने उन अधिसूचनाओं को रद्द करने की मांग की थी जिसके माध्यम से उपराज्यपाल ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बजाय अपनी पहल पर एमसीडी में 10 सदस्यों को नामित किया था।
अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार को दरकिनार करके एमसीडी में अपनी मर्जी से नियुक्तियां नहीं कर सकते।
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