India News (इंडिया न्यूज़), Delhi Services Bill, दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के लिए अध्यादेश को बदलने के लिए विधेयक को राज्यसभा में विचार और पारित करने के लिए पेश किया। यह विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा से पारित हो गया था। राज्यसभा में इसको लेकर बहस जारी है।
- लोकसभा से पास हो चुका
- मई में आया था अध्यादेश
- सरकार के पास बहुमत
कांग्रेस सासंद अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल पर बोलते हुए कहा कि भाजपा का दृष्टिकोण किसी भी तरह से नियंत्रण करने का है…यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है और यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर एक प्रत्यक्ष हमला है। यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है।
मई में आया अध्यादेश
11 मई को सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के फैसले के बाद केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आई थी। विपक्षी दल ‘इंडिया’ गठबंधन इस बिल का विरोध कर रहे है। मणिपुर की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की विपक्ष की मांग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में रोजाना व्यवधान देखा जा रहा था पर आज बहस आराम से हो रही है।
क्या है राज्यसभा का गणित?
अगर आंकड़े की बात करें तो बीजेपी के पास सदन के ठीक-ठीक नंबर है जरूरत पड़ने पर उस बहुमत मिलता रहता है। राज्यसभा में कुल सीट है 245 फिलहाल सासंद है 238। BSP का राज्यसभा में 1 सांसद है। पार्टी ने बायकॉट करेगी। तब सांसद होगे 237। बहुमत के लिए 119 सांसदों की जरूरत पड़ेगी। बीजेपी के राज्यसभा में 92 सांसद हैं। इनमें 5 मनोनीत सांसद हैं, एनडीए के कुल 103 सासंद है।
बीजेपी को 2 निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन है। इसके अलावा दिल्ली सेवा बिल पर YSR, BJD और TDP ने केंद्र का समर्थन करने का ऐलान किया। बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं। जबकि टीडीपी का एक सांसद है। कुल मिलाकर सरकार को 124 सांसदों का समर्थन मिल सकता है। ऐसे में बीजेपी को आसानी से बहुमत मिल जाएगा। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘INDIA’ के पास 109 सांसद हैं।
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