India News(इंडिया न्यूज), Maharashtra Poitics Latest News : महाराष्ट्र में बंपर जीत के बाद बनी महायुति सरकार में खींचतान खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पहले सीएम पद को लेकर , फिर विभागों के बंटवारे को लेकर घमासान जारी ही है। महायुति के तीनों दलों भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के बीच अब एक नया विवाद शुरू हो गया है। इस विवाद में एक बार फिर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और सीएम देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं। असल में राज्य में पिछले दिनों सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक अहम फैसला लिया था। लेकिन एकनाथ शिंदे को उनका फैसला पसंद नहीं आया। इसके बाद उन्होंने सीएम को कॉल करके ये फैसला वापस लेने के लिए कहा और हुआ भी कुछ ऐसा ही। सीएम फडणवीस को उनकी बात माननी पड़ी।

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संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर बवाल

इस बार बवाल संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर हो रहा है। पिछले दिनों सीएम देवेंद्र फडणवीस ने लंबी चर्चा और जद्दोजहद के बाद संरक्षक मंत्रियों की सूची जारी की थी। लेकिन, इस पर महायुति के भीतर विवाद छिड़ गया। संरक्षक मंत्रियों की जो सूची जारी कि गई थी, उसमें मंत्री भरत गोगवले ने रायगढ़ जिले का संरक्षक मंत्री पद पाने पर जोर दिया था। लेकिन, उनको नजरअंदाज कर अदिति तटकरे को संरक्षक मंत्री पद दिया गया। इसी तरह दादा भुसे नासिक के संरक्षक मंत्री का पद चाहते थे लेकिन, इसे गिरीश महाजन को दिया गया। लेकिन महायुति में विवाद के बाद सीएम ने अदिति तटकरे और गिरीश महाजन की संरक्षक मंत्री पद पर नियुक्ति स्थगित कर दी है।

एक फोन और पलट गया फैसला

खबरों के मुताबिक संरक्षक मंत्री पद की सूची जारी होने के बाद भरत गोगावेले और दादा भुसे समर्थक काफी आक्रामक हो गए। समर्थकों ने रात में दो घंटे तक मुंबई-गोवा हाईवे जाम कर दिया और खुलेआम कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री फडणवीस का फैसला मंजूर नहीं है। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने फोन पर फडणवीस से संपर्क किया और अनुरोध किया कि अभिभावक मंत्री के रूप में तटकरे और महाजन की नियुक्ति स्थगित कर दी जाए।

बता दें कि सीएम फडणवीस इस वक्त दावोस के दौरे पर हैं। जाने से पहले उन्होंने संरक्षक मंत्री पद का विषय उठाया। शिवसेना के दो वरिष्ठ मंत्रियों को उनके इच्छित जिले की संरक्षकता नहीं दी गई. इससे एकनाथ शिंदे नाराज हो गए। शिवसेना में यह चर्चा उठी कि बीजेपी मनमानी कर रही है।

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