इंडिया न्यूज, देहारदून:
Devasthanam Board Dissolved : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने जिस देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उसे वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने भंग करने का फैसला कर लिया है। इस बोर्ड का गठन पिछले साल किया गया था। इस बोर्ड के बनते ही सारे मंदिर इस बोर्ड के अधीन हो गए थे। जिसका विरोध पिछले लंबे समय से तीर्थ पुरोहितों द्वारा किया जा रहा था। और अब साधू-संतो की इस मांग को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा मान लिया गया है। और इस बोर्ड का भंग कर दिया गया है।
2020 में हुआ था बोर्ड का गठन (Devasthanam Board Dissolved)
इस बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। और इसके गठन के समय से ही इसका विरोध किया जा रहा था। कहा जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह की कुर्सी जाने के कारण इस बोर्ड के प्रति साधु-संतों की नाराजगी थी। और तीर्थ-पुरोहित इसे भंग करने की मांग पर आंदोलन कर रहे थे। वहीं इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की इस बोर्ड को भंग करने की मांग पर एक कमेटी का गठन किया था। और मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने 30 अक्टूबर तक फैसला लेना का वादा किया था। हालांकि फैसला लेने में एक महीने देरी हो गई है।
4 धाम आ गए थे इस बोर्ड के अधीन (Devasthanam Board Dissolved)
जनवारी 2020 में इस बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था। वहीं इसी के साथ उत्तराखंड में स्थित चार धाम यानि के केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ का नियंत्रण भी सरकार के पास आ गया था। इसी बात को लेकर इस बोर्ड के गठन के समय से तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे।
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