India News (इंडिया न्यूज), Devkinandan Thakur On Waqf : मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने एक कार्यक्रम में वक्फ बोर्ड कानून और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर बनाने को लेकर कहा है कि जो जिस भाषा को समझेगा,उसी में समझाने का प्रयास होगा।
उन्होंने आगे कहा कि जितने भी सनातनी हैं उन्हें एक बात समझ लेनी चाहिए कि बुद्ध भी हमारे हैं, राम भी हमारे हैं, कृष्ण भी हमारे हैं, ये भारत भी हमारा है और भारत की परंपरा भी हमारी है। भारत की परंपरा बिना राम और बिना बुद्ध के पूर्ण हो ही नहीं सकती है। इसलिए इस पर विवाद की नहीं बल्कि संवाद की जरूरत है।
‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर बनाने से परहेज क्यों?’
एबीपी न्यूज़ के खास कार्यक्रम सनातन संवाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे विवाद पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि सरकार ने 2019 से 2022 तक मुस्लिम यूनिवर्सिटी को करीब 5 हजार 600 करोड़ का फंड भेजा है। मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 22 से 24 मस्जिद हैं।
अगर वहां पढ़ने वाले हिंदू बच्चे मंदिर की बात करते हैं तो इसमें किसी को क्या आपत्ति है? जब सरकार पैसा दे रही है तो वो मुसलमानों के साथ-साथ सनातनियों के विकास के लिए भी होना चाहिए। इस देश में हिंदू होना कोई गुनाह नहीं है। अगर हम कहते हैं कि अपने भगवान की पूजा करो तो उन्हें भी कहना चाहिए कि अपने भगवान की पूजा करो। तभी भाईचारा पूरा होगा।
‘पेपर दिखाइए, और ले लो अपनी जमीन’
देश में वक्फ एक्ट को लेकर हो रहे विरोध पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “वक्फ बोर्ड किसने बनाया? 1954 में जब बना तो किसने बनाया? जब धर्म के नाम पर देश छीन लिया गया और पाकिस्तान बन गया, फिर जब पाकिस्तान बन गया तो यहां वक्फ बोर्ड क्यों है? अगर वक्फ बोर्ड है तो उसके कागज दिखाने में क्या दिक्कत है? जिनके पास कागज हैं वो आपको दे दिए जाएंगे, आप अपनी जमीन ले लो। मैं अभी कानपुर आया और कानपुर के बीच में दोनों तरफ कब्रिस्तान हैं। मुझे ऐसा लगता है कि कानपुर में कब्रिस्तान के नाम पर कॉलोनियां हैं।”
‘जो बंगाल में हुआ, वो कानपुर में भी हो सकता है’
बंगाल में वक्फ को लेकर हो रही हिंसा पर बोलते हुए देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, अगर मेरे खिलाफ कुछ होता है तो क्या मैं सड़कों पर उतरकर किसी की संपत्ति में आग लगाऊंगा? मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैं विरोध प्रदर्शन करके या धरना देकर अपना विरोध दर्ज करा सकता हूं।
लेकिन यह हिंदू का घर है, इसलिए इसे जलाना होगा या यह हिंदू की दुकान है, इसलिए इसे लूटना होगा। बांग्लादेश में यही पैटर्न था और यह बंगाल में भी आ गया है। अगर हम सब मिलकर इसका विरोध नहीं करेंगे तो जो बंगाल में हुआ, वह कानपुर में भी हो सकता है।