India News,(इंडिया न्यूज),DRDO: हनीट्रैप के मामले में फंसे डीआरडीओ (DRDO) वैज्ञानिक के मामल में महाराष्ट्र एटीएस ने अदालत में अपना साफ रुख अपनाते हुए कहा कि, वॉयस लेयर और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के लिए गिरफ्तार वैज्ञानिक के सहमति की आवश्यकता नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, आरोपी वैज्ञानिक पक्ष ने पहले अदालत से पॉलीग्राफ टेस्ट, वॉयस लेयर टेस्ट और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के लिए वैज्ञानिक की सहमति लेने का अनुरोध किया था।
वैज्ञानिक के अभियोजक ने कही ये बातें
आरोपी (DRDO) वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर के अभियोजक विजय फरगड़े का कहना है कि, यह सभी परीक्षण अनावश्यक है। परीक्षण के लिए मजबूर करना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। सभी टेस्ट के लिए कुरुलकर की सहमति आवश्यक है। क्योंकि, इस टेस्ट के माध्यम से साक्ष्य का उपयोग उसके खिलाफ किया जा सकता है। जिसके बाद एटीएस ने वैज्ञानिक पक्ष के अभियोजक के दलिलों का खंडन करते हुए कोर्ट से कहा कि, वॉयस लेयर और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के लिए गिरफ्तार वैज्ञानिक के सहमति की आवश्यकता नहीं है।
लगभग 6 महीनें तक संपर्क में था वैज्ञानिक
एटीएस के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जून 2022 से लेकर दिसंबर 2022 तक दोनों संपर्क में थे। जिस बीच वैज्ञानिक प्रदीप की गतिविधियां संगीन पाई गई तो डीआरडीओ ने आंतरिक जांच का फैसला किया। हालांकि इससे पहले फरवरी 2023 में प्रदीप ने जारा का नंबर ब्लॉक कर दिया। इसके बाद प्रदीप के पास एक भारतीय नंबर से मैसेज आया कि आपने मेरा नंबर क्यों ब्लॉक किया। जारी आरोप पत्र के अनुसार, शक होने पर एटीएस ने मामले की जांच की। आईपी एड्रेस से पता चला कि जारा ब्रिटेन से नहीं बल्कि पाकिस्तान से बात कर रही है। मैसेज निकाले गए तो सामने आया कि प्रदीप ने व्यक्तिगत जानकारी के साथ-साथ आधिकारिक कार्यक्रमों के बारे में भी बताया।
जानिए क्या है पूरा मामला
आरोपी वैज्ञानिक के खिलाफ दायर चार्जशीट के अनुसार वैज्ञानिक पर आरोप है कि, डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने जारा दासगुप्ता के नाम से आईडी चलाने वाली पाकिस्तीन एंजेट से आकर्षित होकर उसके साथ कुछ गुप्त जानकारी साझा की। दायर चार्जसीट में दावा किया गया है कि, जारा ने अश्लील मैसेज और वीडियो भेजकर प्रदीप से दोस्ती की। जिसके बाद पाकिस्तानी एजेंट ने ब्रह्मोस लॉन्चर, ड्रोन, यूसीवी, अग्नि मिसाइल लॉन्चर और मिलिट्री बिजिंग सिस्टम समेत अन्य चीजों के बारे में जानकारी मांगी। प्रदीप ने यह सभी जानकारी पहले तो अपने फोन में इकट्ठा की और फिर उसे जारा उर्फ पाकिस्तानी एंजेट को भेज दिया।
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