India News (इंडिया न्यूज़), TMC-JDU On Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट के सख्ती के बाद भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के सारे डाटा दे दिए गए थे। जिसके बाद चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सारे डाटा को अपने आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दिए थे। इसी वजह से ये खुलासा हो पाया कि 2018 से लेकर 2024 तक किस राजनीतिक पार्टी को कितना चुनावी बॉन्ड हासिल हुआ था। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड ने वर्ष 2018-19 के लिए अपने चुनावी बांड के खुलासे में अपने दानदाताओं को छुपाने के लिए एक विचित्र स्पष्टीकरण में कहा कि कोलकाता और पटना में उनके संबंधित कार्यालयों में कुछ गुमनाम व्यक्तियों ने सीलबंद लिफाफे रख दिए थे। जिसकी वजह से उनको पता नहीं चल पाया था कि दान किसने दिया था।

टीएमसी को नहीं पता किसने दिया दान

तृणमूल कांग्रेस ने खुलासा नहीं किया कि 16 जुलाई, 2018 और 22 मई, 2019 के बीच पार्टी को चुनावी बांड के माध्यम से लगभग 75 करोड़ रुपये का किसने दान दिया था। टीएमसी ने 27 मई, 2019 को चुनाव आयोग को कहा था कि जो इलेक्टोरल बांड हमें प्राप्त हुए इनमें से अधिकांश बांड हमारे कार्यालय में भेजे गए थे या फिर ड्रॉप बॉक्स में डाल दिए गए थे। टीएमसी ने आगे कहा कि चुनावी बांड विभिन्न व्यक्तियों के द्वारा दूतों के माध्यम से भेजे गए थे, जो हमारी पार्टी का समर्थन करना चाहते थे। जिनमें से कई खरीदार गुमनाम रहना पसंद करते थे, इस प्रकार, हमारे पास नाम और अन्य विवरण नहीं हैं।

ये भी पढ़े:- Vladimir Putin Warns West: तीसरे विश्व युद्ध से सिर्फ एक कदम दूर दुनिया! रूस-नाटो संघर्ष पर मॉस्को ने दी चेतावनी

हमे मिला सीलबंद लिफाफा- जदयू

बता दें कि, बिहार में सत्तारूढ़ जदयू ने 30 मई, 2019 को चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुतीकरण में कहा था कि कोई व्यक्ति पटना में 3 अप्रैल, 2019 को हमारे कार्यालय में आया और एक सीलबंद लिफाफा सौंपा। पार्टी ने आगे कहा था कि जब लिफाफा को खोला गया, तो हमें 10 इलेक्टोरल बॉन्ड का एक गुच्छा मिला। प्रत्येक चुनावी बांड 1 करोड़ रुपये का था। जनता दाल यूनाइटेड ने अपने निवेदन में कहा कि इस स्थिति की वजह से हम दानदाताओं के बारे में और अधिक जानकारी देने में असमर्थ हैं। पार्टी ने इस बार बात पर जोर देते हुए कहा कि तो हम जानते हैं और न ही हमने जानने की कोशिश की है। क्योंकि जब हमें बांड प्राप्त हुए थे, तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश अस्तित्व में नहीं था।

ये भी पढ़े:- North Korea: उत्तर कोरिया ने लॉन्च किया बैलिस्टिक मिसाइल, जापानी तटरक्षक का दावा