India News (इंडिया न्यूज), Delhi Election Result Effect: दिल्ली चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित हुए। लेकिन इसकी गूंज वर्षों तक सुनाई देगी। दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने आप को ऐसा जख्म दिया है, जो उसे युगों-युगों तक याद रहेगी। दरसअल, दिल्ली और पंजाब में सत्ता पर काबिज आप के हाथ से दिल्ली फिसल गई है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल और आप का कद राष्ट्रीय राजनीति में कम हो गया है। जिसका सीधा-सीधा लाभ कांग्रेस को मिलेगा।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई। 70 सीटों वाली दिल्ली में बीजेपी को 48 सीटों के साथ बहुमत मिला। हैट्रिक की उम्मीद कर रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई।

किस पार्टी को कितना प्रतिशत वोट मिला?

अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी (45.56 फीसदी) और आम आदमी पार्टी (43.57) के बीच सिर्फ 2 फीसदी का अंतर रहा। पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला। लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत इस बार 6.34 फीसदी रहा। यह 2020 के चुनाव (4.63 फीसदी) से बेहतर था। अब अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की हार को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। कोई कह रहा है कि अगर कांग्रेस-आप साथ होते तो हालात कुछ और होते। कोई कह रहा है कि आप की हार के पीछे कांग्रेस का हाथ है। दरअसल इन बातों के पीछे वाजिब तर्क है। 

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कांग्रेस ने कितने सीटों पर बिगाड़ा आप का खेल?

बताया जा रहा है कि, दिल्ली में कुल 13 से 14 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस ने ही आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ दिया। भले ही कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन कुछ सीटों पर वह आम आदमी पार्टी की जीत की राह में रोड़ा जरूर बनी। नई दिल्ली सीट, जहां से खुद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल हारे, वहां कांग्रेस को जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती समेत कुल 14 सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी की जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले। उदाहरण के लिए नई दिल्ली सीट को ही ले लीजिए। बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4009 वोटों से हराया। यहां कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले। इसका मतलब यह हुआ कि कांग्रेस को यहां बीजेपी की जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले।

दिल्ली चुनाव परिणाम से कांग्रेस को मिलेगा लाभ?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली हो लेकिन, कांग्रेस ने आप से गुजरात, गोवा, हरियाणा चुनाव में दिए जख्म का बदला ले लिया। भले ही राहुल गांधी की कांग्रेस दिल्ली में कमाल नहीं कर पाई। लेकिन हारने के बाद भी वह अपनी पार्टी के लिए जादूगर साबित हुई है। एक तरह से कांग्रेस ने अखिल भारतीय गठबंधन में अपने सहयोगियों को संकेत दिया है कि उसे अलग रखना मतलब राजनीतिक नुकसान होगा। इस तरह देखा जाए तो आम आदमी पार्टी की हार में कांग्रेस के लिए अच्छी खबर छिपी है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 2025 के अंत तक बिहार में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में राजद कांग्रेस को दबा नहीं पाएगी।

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पंजाब में कांग्रेस को मिलेगा फायदा?

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को साइडलाइन करने की बात घटक दल शायद ही करेंगे। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद से लगातार इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर बात उठने लगी थी। इसके अलावा, पंजाब में भी कांग्रेस के उम्मीदों को पर लग गए हैं। पंजाब कांग्रेस के एक नेता यहां तक दावा कर दिया कि, आप के 30 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव 2027 में होने की संभावना है। ऐसे में दिल्ली में आप की हार और केजरीवाल समेत कई बड़े नेताओं की हार से कांग्रेस फुले नहीं समा रही है।

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