India News (इंडिया न्यूज),Farooq Abdullah on 370: 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में कई महीनों तक तनाव रहा और उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। करीब 5 साल बाद यानी 2024 में केंद्र शासित प्रदेश बन चुके जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए और अब वहां शांति का माहौल है। लेकिन पूर्व रॉ प्रमुख एएस दुलत की एक किताब ने एक बार फिर कश्मीर के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।

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‘370 हटाने का समर्थन किया’

इस किताब में पूर्व रॉ प्रमुख दुलत ने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाने का गुप्त रूप से समर्थन किया था। यह बात अब तक सार्वजनिक नहीं हुई थी। क्योंकि 370 हटाने के विरोध के चलते फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला महीनों तक नजरबंद रहे थे। साथ ही फारूक को केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ कश्मीर की सबसे मुखर आवाज माना जाता था।

फारूक अब्दुल्ला ने दुलत की किताब ‘द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई’ में उनके बारे में किए गए दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की चाल बताया है। साथ ही उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस दावे को मनगढ़ंत बताया है। पार्टी का कहना है कि फारूक ने ही इस फैसले के खिलाफ गुपकार घोषणा की थी, जिसमें कई दलों ने मिलकर अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की थी।

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दुलत को दावे पर सफाई देनी पड़ी

दूसरी ओर, किताब के दावे पर विवाद बढ़ता देख लेखक एएस दुलत ने सफाई देते हुए कहा कि किताब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की तारीफों से भरी है और इसमें उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है। इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ दोनों में काम कर चुके और कश्मीर और कश्मीर पर काम करने का लंबा अनुभव रखने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी दुलत ने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है।

जब उनसे मीडिया में उनकी किताब का हवाला देते हुए उन खबरों के बारे में पूछा गया, जिसमें कहा गया था कि फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र के कदम का व्यक्तिगत रूप से समर्थन किया था, तो दुलत ने कहा कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है, ऐसा कुछ नहीं हुआ। दुलत ने एएनआई से कहा, ‘मेरी किताब डॉ. फारूक की तारीफों से भरी है, किताब में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है, उन्हें किताब पढ़नी चाहिए।’

दुलत से फारूक अब्दुल्ला की नाराजगी के बारे में पूछा गया, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि किताब में गलतियां हैं और यह भी कहा कि एक दोस्त कभी ऐसा नहीं लिखता। इस पर दुलत ने कहा कि फारूक साहब हमेशा मेरे अच्छे दोस्त रहेंगे, मुझे यकीन है कि जब वह दिल्ली आएंगे तो मेरी बहन से मिलने आएंगे जो तीन हफ्ते से बिस्तर पर है।

सज्जाद लोन ने फारूक पर उठाए सवाल

जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि उन्हें इस बात से कोई हैरानी नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में पहले से ही पता था। दुलत साहब फारूक साहब के काफी करीबी माने जाते थे। आम राय है कि दुलत साहब दिल्ली में फारूक साहब के सबसे बड़े वकील हैं। जब वह कहते हैं कि फारूक अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए राजी थे या 2020 से 2023 तक भाजपा के साथ गठबंधन करना उनकी सबसे बड़ी इच्छा थी, तो इसमें काफी सच्चाई है।

पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और फारूक अब्दुल्ला को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुलत साहब ने अपनी किताब में लिखा है कि फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त 2019 के फैसले के साथ थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया था। हम चाहते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और फारूक साहब इस पर स्पष्टीकरण दें। वहीद पारा ने कहा कि हमारा बीजेपी के साथ गठबंधन था, लेकिन उन्होंने (नेशनल कॉन्फ्रेंस) बीजेपी के साथ डील कर ली। जम्मू-कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है, वह एक पैटर्न का हिस्सा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात करता रहा है, वे उसी स्क्रिप्ट को आगे बढ़ा रहे हैं।

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