India News (इंडिया न्यूज), Husband Wife Dispute : पति-पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े आज के समय में आम हो गया है। आए दिन पति-पत्नी की लड़ाई से जुड़ी खबरें अखबारों में छपती रहती हैं। इसी कड़ी में बॉम्‍बे हाई कोर्ट से पति-पत्नी का ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हिलाकर रख दिया है। यहां पर पत्नी ने पति के खिलाफ ऐसी साजिश रची की खुद कोर्ट को इसे क्रूरता बता दिया। असल में पत्नि ने अफने पति पर कई सारे दहेज प्रताड़ना का झूठा केस दर्ज करवा रखा था।

सच सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने माना कि दहेज प्रताड़ना के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (नए कानून के तहत भारतीय न्याय संहिता की धारा 85) के तहत जीवनसाथी के व्यवहार को सुधारने के इरादे से झूठी शिकायत दर्ज करना हिंदू मैरिज एक्‍ट, 1955 की धारा 13(1)(i-a) के तहत क्रूरता के समान है।

आईपीसी की धारा 498ए एक विवाहित महिला के खिलाफ उसके पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता को दंडित करती है। जस्टिस जीएस कुलकर्णी और अद्वैत एम सेठना की बेंच के आगे महिला की एक नहीं चली और उन्‍होंने पति के पक्ष में फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के फैसले को बरकरार रखा।

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क्या है मामला?

दोनों की 2006 में शादी हुआ थी। जिसे 2018 में भंग कर दिया गया था। महिला ने निचली अदालत के पति को तलाक प्रदान करने के 2018 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें महिला ने पति और उसके रिश्तेदारों पर दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोप लगाए थे। लेकिन कोर्ट महिला की एक नहीं चली। फैमिली कोर्ट ने भी माना कि पत्‍नी के आरोप झूठे थे और उसने कोर्ट की कार्रवाई के दौरान यह स्वीकार भी किया कि उसका इरादा अपने पति को दंडित करना नहीं था, बल्कि उसके व्यवहार को सुधारना था। पति ने इसी आधार पर तलाक की अर्जी लगाई थी।

इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में पति को बरी करने को भी चुनौती दी थी। इसके तर्क में महिला ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने उसके इरादों की व्याख्या करने में गलती की है। वहीं पति ने कहा कि झूठे आरोपों ने उसे मानसिक पीड़ा दी और उसके पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को खराब कर दिया।

हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

इस केस को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने माना कि पत्‍नी द्वारा इस तरह की हरकतें विश्वास का गंभीर उल्लंघन है, जो उनके वैवाहिक संबंधों की नींव को खत्‍म कर देती है। ऐसा करना क्रूरता है, जिसके तहत हिंदू मैरिज एक्‍ट, 1955 की धारा 13(1)(i-a) के तहत तलाक का आधार बनता है।

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