India News (इंडिया न्यूज), Daughter’s Right On Father’s Property: भारत में बेटियों का संपत्ति पर अधिकार कानून में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों के बाद स्पष्ट हुआ है। संपत्ति में बेटी के अधिकार के संबंध में यह जानना ज़रूरी है कि शादी के बाद भी बेटी का अपने माता-पिता की संपत्ति पर पूरा हक रहता है। आइए जानते हैं इस विषय से जुड़े प्रमुख नियम और कानून:

1. हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005

2005 में हुए इस संशोधन ने बेटियों के अधिकारों को स्पष्ट और मजबूत किया। इस कानून के अनुसार:

  • पैतृक संपत्ति में बेटी का बराबर का हक: अब बेटियों को अपने पिता की पैतृक संपत्ति में उसी प्रकार का अधिकार मिलता है जैसा बेटों को मिलता है। यह कानून शादीशुदा या अविवाहित बेटी, दोनों के लिए लागू होता है।
  • कोपार्सनरी अधिकार: बेटे की तरह बेटी को भी अब पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही कोपार्सनर (सहभागी) माना गया है। यानी, वह अपने हिस्से की संपत्ति की मांग कर सकती है, चाहे उसकी शादी हो चुकी हो या नहीं।

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2. कब तक रहता है बेटी का हक?

  • शादी के बाद भी अधिकार: बेटी की शादी के बाद भी वह अपने पिता की संपत्ति में अपने हिस्से की हकदार होती है। शादी के बाद उसका संपत्ति पर अधिकार खत्म नहीं होता।
  • संपत्ति का विभाजन: अगर पिता की मृत्यु बिना वसीयत (इंटेसटेसी) के होती है, तो बेटी को भी संपत्ति का हिस्सा मिलता है, जैसा बेटों को मिलता है। अगर संपत्ति का विभाजन पहले से ही हो चुका है, तब बेटी को अपने हिस्से की मांग करने का अधिकार होगा।

3. माता-पिता की संपत्ति पर हक

  • स्व-अर्जित संपत्ति: अगर पिता या माता की संपत्ति स्व-अर्जित है और उन्होंने वसीयत के ज़रिए उसे किसी को सौंप दिया है, तो बेटी उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती है। लेकिन अगर वसीयत नहीं बनी है, तो वह भी उत्तराधिकारी होगी।
  • मां की संपत्ति पर अधिकार: बेटी को अपनी मां की संपत्ति पर भी वैसा ही हक होता है जैसा पिता की संपत्ति पर। यानी मां की पैतृक या स्व-अर्जित संपत्ति में भी बेटी का अधिकार रहेगा।

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4. मुस्लिम और अन्य धर्मों में संपत्ति का अधिकार

  • मुस्लिम कानून के तहत, बेटियों को संपत्ति में अधिकार मिलता है, लेकिन बेटों की तुलना में बेटियों को आमतौर पर कम हिस्सा मिलता है। मुस्लिम उत्तराधिकार कानून के तहत बेटियां भी शादी के बाद अपने हिस्से की हकदार होती हैं।
  • ईसाई और पारसी कानून में भी बेटी को शादी के बाद माता-पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी मिलती है।

5. नियम की कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • अगर संपत्ति की वसीयत नहीं बनी है, तो बेटी को उसका हिस्सा मिलेगा।
  • अगर संपत्ति को विभाजित किया जा चुका है, तब भी बेटी को उसके हिस्से का दावा करने का अधिकार है।
  • शादी के बाद बेटी के अधिकार समाप्त नहीं होते, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो।

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निष्कर्ष:

शादी के बाद भी बेटियों का अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति पर पूर्ण अधिकार है। यह कानून बेटियों को संपत्ति में बराबरी का दर्जा देता है, जिससे उनका हक सिर्फ बेटों तक सीमित नहीं रह जाता।