रामायण में एक लेख ऐसा भी मिलता है जब गरुड़ देव ने श्री राम और लक्ष्मण जी को मृत्यु के मुख में जानें से बचाया था रामायण में एक अनोखे किस्से का जिक्र मिलता है जब प्रभु श्री राम और उनके अनुज लक्ष्मण के प्राण संकट में आ गए थे। हाल ये था कि श्री राम के परम भक्त और संकट मोचन हनुमान भी अपने प्रभु के प्राणों की रक्षा करने में असमर्थ हो गए थे तब गरुड़ देव ने श्री राम और उनके अनुज लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी।
क्या है कथा
1.युद्ध में जब रावण के पुत्र मेघनाद का आगमन हुआ तब उसने लक्ष्मण को युद्ध की चुनौती देते हुए पुकारा, लक्ष्मण ने भी अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए युद्ध की चुनौती को स्वीकार किया दोनों के बीच भीषण युद्ध आरंभ हुआ जब कई दिनों तक युद्ध चलता रहा तो मेघनाथ को यह स्पष्ट हो गया कि लक्ष्मण कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं बल्कि शेषनाग का अवतार हैं।

2.मेघनाथ समझ गया कि इस प्रकार मात्र दिव्य बाणों के सहारे वो लक्ष्मण को हरा नहीं सकता तब उसने काली और आसुरी शक्तियों का सहारा लिया मेघनाथ ने एक एक कर सभी भयंकर से भयंकर आसुरी शक्तियों का आवाहन किया और लक्ष्मण जी पर लक्ष्य साध दिया।

3.मेघनाथ की आसुरी शक्तियों से विभीषण जी अवगत थे तो उन्होंने श्री राम से लक्ष्मण की सहायता करने की प्रार्थना की जब श्री राम लक्ष्मण जी के पास पहुंचे और लक्ष्मण जी को सावधान होने की सलाह देते हुए युद्ध के लिए सज्ज होने लगे तब उस मौके का फायदा उठाकर मेघनाथ अदृश्य हो गया और उसने श्री राम और लक्ष्मण पर अदृश्य रूप में ही नाग पाश का निशाना साध दिया।

4.नाग भगवान शिव के गले में रहता है इसी कारण से भगवान शिव का मान रखते हुए श्री राम और लक्ष्मण ने उस नागपाश के बंधन को स्वीकार किया श्री राम और लक्ष्मण को नागपाश के वश से मूर्छित होता देख समस्त राम सेना घबरा गयी।

5.हनुमान जी के आवाहन पर गरुड़ जी क्षण भर में उपस्थित हो गए और उन्हें नागों को एक एक कर खाना शुरू किया जिसके बाद श्री राम और लक्ष्मण नागपाश से मुक्त हो गए।