India News (इंडिया न्यूज), Gaurav Gogoi slams BJP: लोकसभा कार्यवाही के दौरान अक्सर यह देखने को मिलता है कि पक्ष और विपक्ष के सांसद एक-दूसरे के ऊपर जुबानी हमला बोलते हैं। परंतु इस दौरान उनकी भाषा कब अमर्यादित और असंसदीय हो जाती है, ये उन्हें भी नहीं पता चलता है। वहीं लोकतंत्र के मंदिर भारतीय संसद के अंदर ऐसी भाषा का उपयोग न सिर्फ किसी भी सांसद के आचरण को दिखता है, बल्कि यह उनके पार्टी नेतृत्व के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। इस बीच कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा है। जिसमे उन्होंने कुछ केंद्रीय मंत्रियों के असंसदीय भाषा उपयोग करने का आरोप लगाया है।
गौरव गोगोई ने लिखा लोकसभा अध्यक्ष को पत्र
गौरव गोगोई ने अपने पत्र में लिखा है कि मैं आपको यह पत्र लोकसभा में संसदीय आचरण के गिरते स्तर के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए लिख रहा हूँ। जैसा कि चल रहे मानसून सत्र के कई उदाहरणों से स्पष्ट है। अक्सर सरकार के मंत्री ही विपक्षी दलों के सदस्यों के खिलाफ असंसदीय, आपत्तिजनक और धमकी भरे बयान देते हैं। मैं तीन उदाहरणों पर प्रकाश डालना चाहूँगा:
- 26 जुलाई: केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह (उर्फ लल्लन सिंह) ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो सदन के सदस्य नहीं हैं।
- 25 जुलाई: राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद श्रीमती सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया।
- 25 जुलाई: सांसद श्री निशिकांत दुबे ने सदन में अपने हस्तक्षेप के दौरान स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक भाषा का इस्तेमाल किया।
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सरकार पर लगाया आरोप
कांग्रेस सांसद ने लिखा कि यह देखना निराशाजनक है कि संसदीय कार्य मंत्री सदन में मौजूद होने के बावजूद इन घटनाओं के समय अपने सहयोगियों को रोक नहीं पाए। सदन का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना सामूहिक जिम्मेदारी है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सरकार सक्रिय और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस सरकार ने लगातार संसद की प्रक्रियाओं, परंपराओं और शिष्टाचार की अनदेखी की है। जिससे विपक्ष की आवाज के लिए कोई जगह नहीं बची है। सदन के प्रत्येक सदस्य की अपने मतदाताओं की आवाज का प्रतिनिधित्व करने की समान जिम्मेदारी है।
कार्रवाई की उठाई मांग
लोकसभा में विपक्ष के उपनेता ने लिखा कि मतभेद के कारण अपमान नहीं होना चाहिए। सदन के संरक्षक के रूप में, हम आपसे आचार संहिता को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा करते हैं कि कोई भी सदस्य चाहे वह सत्ता पक्ष हो या विपक्ष संसद के मानदंडों का उल्लंघन न करे। मैं आपसे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह करता हूं। साथ ही आशा करता हूं कि आप संसद सदस्यों के खिलाफ ये निंदनीय बयान देने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करेंगे।
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