India News (इंडिया न्यूज), India Surveillance Policy : पाकिस्तान के साथ हाल के समय में हुए सैन्य संघर्ष के बाद से भारत सामरिक मोर्चे पर पूरी तरह सतर्क है। इसको लेकर हर जरूरी कदम सरकार की तरफ से उठाए जा रहे हैं। पाक के बाद अब भारत की नजर चीन पर है। वैसे तो अभी चीन शांत है, लेकिन उसकी उसकी हरकतों को देखते हुए उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

अब इसी कड़ी में ड्रैगन से निपटने के लिए भारत डिजिटल स्ट्राइक का सहारा ले रहा है। इसको लेकर भारत सरकार की तरफ से सर्विलांस इंडस्ट्री यानि सीसीटीवी कैमरों को लेकर सुरक्षा नीति में बदलाव किया है।

खबरों के मुताबिक सरकार ने अप्रैल, 2025 तक एक नई सुरक्षा नीति लागू की है, जिसमें सभी इंटरनेट से जुड़े सीसीटीवी कैमरों को भारतीय सरकारी प्रयोगशालाओं में सुरक्षा परीक्षण से गुजरना अनिवार्य कर दिया गया है। ये बदलाव चीन से आने वाले संभावित खतरों के मद्देनजर हुआ है। इस नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।

चीन की साजिश होगी फेल

चीनी प्रोडेक्ट्स को लेकर कहा जाता है कि उनकी मदद से वो जासूसी करता है। इसी को रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है। सरकार की ये नीति खासतौर पर Hikvision, Dahua और Xiaomi जैसी चीन की कंपनियों पर केंद्रित है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन कंपनियों के उपकरणों में सुरक्षा खामियों की आशंका जताई गई है, जिससे संवेदनशील डेटा की चोरी या विदेशी नियंत्रण की संभावना बढ़ जाती है।

वैसे बता दें कि सरकार की नई नीति से भारतीय निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा। जो कंपनियां केंद्रीय मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से साइबर सुरक्षा सर्टिफिकेट लेती हैं, उन्हें सरकारी अनुबंधों में प्राथमिकता मिल सकती है। इसके अलावा मेक इन इंडिया पहल के तहत सरकार घरेलू उत्पादों की खरीद को प्राथमिकता दे रही है।

अमेरिका, ब्रिटेन में भी ऐसे नियम

भारत सरकार द्वारा लाई गई नई नीति कई अन्य देशों में भी लागू है। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी सुरक्षा कारणों से चीनी कंपनियों के उपकरणों पर सीधे प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका के संघीय संचार आयोग (FCC) ने 2022 में हिकविजन और डाहुआ उपकरणों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।

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