इंडिया न्यूज़, जैसलमेर।
Hanuman Jayanti in Jaisalmer : जैसलमेर में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) पर मंदिरों में 251 किलो के रोट का चूरमा बनाकर भोग लगाया गया। प्रसाद को तैयार करने में दो दिन लगे। रोट को 20 लोग मिलकर चौकी पर रखकर खींचकर लेकर गए। इसके बाद अंगारों पर सेंकने के बाद इसका चूरमा बनाया गया।
हनुमान जयंती पर शनिवार को मंदिरों में कई धार्मिक अनुष्ठान किए गए। पोकरण बांकना (Pokaran,Bankana) और सालमसागर तालाब (Salamsagar Pond) स्थित हनुमान मंदिरों में चूरमे का भोग लगाया गया। रोट के लिए आटे को 190 किलो दूध में गूंथा गया। 110 किलो शक्कर, 170 किलो घी, 30 किलो काजू, किशमिश, बादाम मिलाकर चूरमे का प्रसाद तैयार किया गया। मंदिरों में प्रसाद चढ़ाने के बाद भक्तों में बांटा गया।
इसे पकाने में दो दिन की मेहनत लगती है
रोट बनाने वाले कारीगर जगदीश जोशी (Jagdish Joshi), ओमप्रकाश बिस्सा (Omprakash Bissa) और लालभा गुचिया (Lalbha Guchia) ने बताया कि 251 किलो आटे के रोट को बनाने में 15 से बीस लोगों की टीम लगती हैं। इसके बाद 20 हजार उपलों की जलती आग में सेंकने के लिए रखते हैं। इसे पकाने में दो दिन की मेहनत लगती है।
पाइपों का एक चौकीनुमा स्ट्रक्चर बनाया जाता है
रोट का वजन ज्यादा होने के कारण इसे उठाने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। अंगारों में रखने के लिए लोहे के पाइपों का एक चौकीनुमा स्ट्रक्चर (Checkpoint Structure) बनाया जाता है। उस पर रोट को रखा जाता है। चौकी के चारों ओर पकड़ने के लिए लकड़ी के बड़े गट्ठे बांधे जाते हैं। इसके बाद आग की लपटों में रखा जाता है।
पट्टों पर रखकर 15 लोग उठाकर एक तरफ लेकर जाते हैं
रोट करीब 24 से 36 घंटे में सिकता है। उपलों पर आटे के रोट के ऊपर टाट लगाई जाती है। उसके चारों तरफ सूत की डोरी लगाते हैं, जिससे उपलों की राख नहीं लगे। सिकाई के बाद पट्टों पर रखा जाता है। पट्टों पर रखकर 15 लोग उठाकर एक तरफ लेकर जाते हैं। इसके बाद रोट से चूरमा बनाया जाता है।
Hanuman Jayanti in Jaisalmer
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