India News (इंडिया न्यूज),Umar Khalid:दिल्ली दंगा मामले में आरोपी उमर खालिद को बुधवार (18 दिसंबर) को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने उसे सात दिन की अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने उमर खालिद को 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक के लिए अंतरिम जमानत दी है। उमर खालिद ने अपने चचेरे भाई-बहन की शादी में शामिल होने के लिए 10 दिन की अंतरिम जमानत मांगी थी।

कौन है उमर खालिद

दिल्ली निवासी उमर खालिद के पिता स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य और वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उमर खालिद ने जेएनयू का रुख किया। यहां से मास्टर और एमफिल करने के बाद उन्होंने पीएचडी भी पूरी की है। पढ़ाई के साथ-साथ खालिद की रुचि एक्टिविज्म में भी रही है। वह छात्र नेता रहे हैं और कई सार्वजनिक मंचों से केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखे हमले करते रहे हैं।

2016 में सुर्खियों  में आए थे खालिद

जेएनयू से पीएचडी करने वाले उमर खालिद पहली बार 2016 में सुर्खियों में आए थे। कथित तौर पर संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ जेएनयू में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसके बाद खालिद, तत्कालीन जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार और 7 अन्य छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। यह भी आरोप लगाया गया था कि कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। दिल्ली पुलिस द्वारा कन्हैया को गिरफ्तार करने के बाद खालिद लापता हो गए थे। अगले कुछ दिनों तक उन्हें टीवी चैनलों पर देखा गया था। 23 फरवरी को जब वह कैंपस में दिखे तो उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई थी।

पीएम मोदी पर साधी निशाना

जेएनयू की घटना के बाद उमर खालिद अक्सर चर्चा में रहे। कई मौकों पर उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़ी एफआईआर में भी उमर खालिद का नाम था। खालिद पर अपने भाषण के जरिए दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने का आरोप था। उसी साल अगस्त में उमर खालिद पर कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हमला हुआ था, लेकिन वह बाल-बाल बच गए थे।

उमर खालिद पर क्या आरोप हैं?

जेएनयू के शोध छात्र उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस ने 36 वर्षीय खालिद को दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा मामले में “मुख्य साजिशकर्ता” बताया है, जिसके कारण 53 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 200 अन्य घायल हो गए।

पुलिस के अनुसार, उमर खालिद ने 24 फरवरी, 2020 को दिल्ली में हुई घातक सांप्रदायिक झड़पों की “साजिश” रची और “उकसाया”, जब राजधानी शहर में सीएए के समर्थक और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।

इस मामले में गिरफ्तारी के बाद से, खालिद को अदालत ने कई बार जमानत देने से इनकार कर दिया है और पिछले चार वर्षों से उन पर मुकदमा नहीं चलाया गया है और यहां तक ​​कि उनके और इसी मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोप भी तय नहीं किए गए हैं।

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