India News (इंडिया न्यूज),Indian illegal immigrants deportation: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका लौटने के बाद वहां अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। अमेरिका ने भारत से ऐसे 104 लोगों को डिपोर्ट किया है। ये वो लोग हैं जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे। डिपोर्ट किए गए भारतीयों में 30 पंजाबी शामिल हैं। इनमें से 4 जालंधर के हैं। इसमें जालंधर देहात के सलारपुर में रहने वाले जसकरण सिंह भी शामिल हैं। मीडिया से बातचीत में जसकरण के पिता जोगा सिंह ने बताया कि उनका बेटा 6 महीने पहले विदेश गया था। जहां वो 2 से ढाई महीने दुबई में रहा, जिसके बाद 25 जनवरी को वो मैक्सिको में दाखिल हुआ। इस दौरान उसे वहां की पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
45 लाख रुपए का लोन लेकर बेटे को भेजा था बाहर
पिता ने बताया कि वो काफी मुश्किलों का सामना करके अमेरिका पहुंचा था। हमने 45 लाख रुपए का लोन लेकर अपने बेटे को विदेश भेजा था। पिता बोले- सारे सपने अधूरे रह गए परिवार का कहना है कि अब बेटे के वापस आने से सारे सपने अधूरे रह गए। घर में 4 लड़कियां हैं, परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की अपील की है। पिता ने बताया कि देर रात जसकरण घर पहुंचा और वहां पर हो रही परेशानियों के बारे में बताया। एजेंट दुबई में रहता है और उसने उनके बेटे को धोखा देकर फंसा दिया है।अमेरिका से निकाले जाने के बाद जसकरण सिंह आज सुबह किसी काम से शहर के लिए निकला था।
संसद में प्रवासियों का मुद्दा गरमाया
विपक्ष ने संसद में उठाया मुद्दा अमेरिका से निकाले गए भारतीय अवैध प्रवासियों का मुद्दा गरमा गया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने अमानवीय तरीके से लोगों को निकाला है। आरोप लगाया जा रहा है कि जिन लोगों को भारत भेजा गया है, उनमें से कुछ को हथकड़ी भी लगाई गई थी। अब इस हथकड़ी को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला है। विपक्षी दल पूछ रहे हैं कि अगर भारत के अमेरिका से अच्छे संबंध हैं, तो उन्हें इस तरह से क्यों निकाला गया? विदेश मंत्री ने राज्यसभा और लोकसभा में दिया जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मामले को लेकर राज्यसभा और लोकसभा में जवाब दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका ने वहां रह रहे अवैध भारतीयों को निकाला हो। इससे पहले भी अमेरिका वहां अवैध रूप से रह रहे लोगों को निर्वासित करता रहा है। जहां तक सैन्य विमान से भेजने की बात है तो यह उसके एसओपी का हिस्सा है। निर्वासन की यह प्रक्रिया नई नहीं है।
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