India News (इंडिया न्यूज़), Heart With water: आज के समय में हृदय रोगों का खतरा तेजी से बढ़ा है, हार्ट अटैक जैसी समस्याएं अब वयस्कों के साथ-साथ युवाओं में भी देखने को मिल रही हैं। हृदय से जुड़ी एक और समस्या है हृदय में पानी भरना। इसके बारे में आपने कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हृदय में पानी क्यों भरने लगता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं इसका जवाब एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. बिमल छाजेड़ से।

क्या कहते हैं डॉ. बिमल छाजेड़

डॉ. बिमल छाजेड़ ने बताया कि हृदय में पानी भरने की समस्या को मेडिकल भाषा में पेरीकार्डियल इफ्यूजन कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है जब हृदय के चारों ओर पेरीकार्डियम नामक झिल्ली में असामान्य रूप से द्रव जमा हो जाता है। सामान्य स्थिति में पेरीकार्डियम में थोड़ी मात्रा में द्रव होता है जो हृदय की गतिविधियों को सुचारू बनाए रखने में सहायक होता है, लेकिन जब इस द्रव की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह हृदय की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है और गंभीर मामलों में हृदय की धड़कन को भी बाधित कर सकता है।

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पेरिकार्डियल इफ्यूशन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-

संक्रमण: बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण पेरिकार्डियम में सूजन और द्रव संचय का कारण बन सकते हैं।

ऑटोइम्यून विकार: कुछ ऑटोइम्यून विकार हृदय में द्रव प्रतिधारण का कारण बन सकते हैं, जैसे ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया और सिस्टमिक स्केलेरोसिस।

हृदय रोग: दिल का दौरा, हृदय शल्य चिकित्सा या अन्य हृदय संबंधी स्थितियाँ भी पेरिकार्डियल इफ्यूशन का कारण बन सकती हैं।

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