India News (इंडिया न्यूज), Hindu Woman Muslim Funeral : जहां एक तरफ देश के कई इलाकों में हमेशा हिंदू-मुसलमान का मुद्दा गरमाया रहता है। लेकिन इसके विपरित बिहार के सासाराम में एक सांप्रदायिक सौहार्द फैलाने वाली खबर सामने आई है। यहां पर एक हिंदू महिला का मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार किया गया है। इस खबर ने सभी को हैरान कर दिया है। सबसे अच्छी खबर ये है कि इसमें दोनों धर्मों के लोगों ने महिला के परिवार वालों का साथ दिया।
यही नहीं महिला की जनाजे की नमाज भी शुक्रवार को मस्जिद में अदा की गई और फिर बाद में जनाजे को कब्रिस्तान में मिलकर दफन किया गया। डेहरी के मणिनगर की रहने वाले 58 वर्षीय संगीता देवी की बीमारी के कारण मौत हो गई। इसके बाद उसके बेटे, बहू, बेटी व पति ने महिला का अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति रिवाज से कराने का निर्णय लिया।
रीति रिवाज के अनुसार मुस्लिम महिलाओं ने महिला की शव को नहलाया। इसके बाद उसके जनाजे की नमाज छोटी मस्जिद में अदा की गई। हिंदू महिला को लेकर नमाज अदा करने पर किसी मुस्लिम ने विरोध नहीं किया।
हिंदू महिला की अंतिम इच्छा थी
जानकारी के मुताबिक मृत महिला के बेटे धर्मेंद्र कुमार, बेटी नीलम व सोनम ने बताया कि उनकी मां की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु होने पर उनका अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति रिवाज से की जाए। बताया कि उनकी मां रोजा रखती थी। साथ ही अजमेरशरीफ के अलावे अन्य दरगाहों पर भी वह जाती थीं। उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति रिवाज से किया गया। परिवार वालों ने बताया कि लगभग 40 वर्ष पूर्व उनकी मां की शादी हुई थी। शादी के बाद तकरीबन 10 साल तक उनकी मां को कोई औलाद नहीं हुआ। उस समय मेरी मां भभुआ जिले की करमचट थाना क्षेत्र के अमांव में रहती थी। तब एक फकीर ने उन्हें गौश पाक की दरगाह (उत्तर प्रदेश) में जाने का कहा।
संतान के लिए मांगी थी मन्नत
गौश पाक की दरगाह जाने के बाद महिला ने बाबा से मन्नतें मांगी। इसके बाद बड़े पुत्र का जन्म हुआ। इसके बाद मेरी छोटी बहन पूनम, सोमन व नीलम हुई। तब से हिन्दू के साथ मुस्लिम धर्म को भी वह मानने लगी थीं। नमाज के साथ रमजान महीने में 30 दिनों का वह रोजा रखती थी। ईद-बकरीद के साथ मोहर्रम पर खिचड़ा भी फातीहा कराती थीं। बच्चों ने बताया कि मां की इच्छा पीर से मुरीद होने की थी। लेकिन, वह मेरी बहनों की शादी का इंतजार कर रही थी। गुरुवार रात उनकी मौत हो गई। मुस्लिम धर्म में शुक्रवार को शुभ माना जाता है। इसी वजह से शुक्रवार को जनाजे की नमाज अदा की गई।
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