India News (इंडिया न्यूज), Jammu Kashmir Rajouri 17 Mysterious Deaths: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में 17 बच्चों की मौत की गुत्थी सुलझ गई है। जांच के लिए दिल्ली से पहुंची विशेष टीम ने महज चंद घंटों में राजौरी के दूरदराज के बदहाल गांव में बच्चों की मौत के कारणों का पता लगा लिया है। जांच के दौरान पता चला कि राजौरी जिले के इस गरीब गांव में बच्चों की मौत का कारण झरनों और बावली का दूषित पानी पीना है। इससे पहले सीएम अमर अब्दुल्ला और उनका स्वास्थ्य मंत्रालय एक महीने से ज्यादा समय तक बच्चों की मौत की गुत्थी नहीं सुलझा पाए थे।

केंद्रीय टीम की जांच में हुआ खुलासा

आपको बता दें कि, जब केंद्रीय टीम ने पानी के सैंपल की जांच की तो पता चला कि, उसमें भारी मात्रा में कीटनाशक मिला हुआ था। जिसके बाद झरनों और बावली को तुरंत सील कर दिया गया। डीएम ने झरनों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया। जम्मू-कश्मीर सरकार को शक है कि रोक के बावजूद लोग चोरी-छिपे बावली और झरने का पानी जरूर लेंगे। इसलिए लोगों में इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। तहसीलदार खवास को यह सुनिश्चित करने का जिम्मा सौंपा गया है कि कोई भी ग्रामीण किसी भी हालत में झरने के पानी का इस्तेमाल न करें।

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अमित शाह ने बनाई थी विशेष टीम

एसएचओ पुलिस स्टेशन कंडी को प्रतिबंध लागू करने के लिए झरने पर चौबीसों घंटे 2-3 सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजौरी के सुदूर बधाल गांव में कुछ ही हफ्तों के भीतर तीन परिवारों में हुई 17 मौतों के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए दो दिन पहले यानी शनिवार को एक विशेष टीम बनाई थी। इस टीम में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों समेत कई अन्य मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल थे।

उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने क्या कहा?

अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि, जम्मू के एसएमजीएस अस्पताल में इलाज करा रहे मोहम्मद असलम के छह बच्चों में से आखिरी यास्मीन कौसर की रविवार शाम को मौत हो गई। कौसर के पांच भाई-बहनों और दादा-दादी की पिछले हफ्ते मौत हो गई थी। गांव में सात से 12 दिसंबर के बीच दो परिवारों के नौ अन्य सदस्यों की मौत हो गई। यहां एक समारोह के मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, “जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों ने मौतों की जांच की है, लेकिन सटीक कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने अंतर-मंत्रालयी विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है और वे यहां पहुंच गए हैं।”

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