India News (इंडिया न्यूज), Delhi CM Rekha Gupta : कई दिनों के सस्पेंस के बाद आखिर कार दिल्ली को रेखा गुप्ता के तौर पर नया सीएम मिल गया है। बीजेपी हाईकमान ने दिल्ली की कमान इस बार महिला को सौंपी है। सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी मारलेना के बाद रेखा गुप्ता चौथी महिला होगी जो दिल्ली सीएम बनेंगी। वैसे दिल्ली की सबसे पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज थी। ये बात अलग है कि बीजेपी ने उन्हें अपनी दिल्ली सरकार के आखिरी बचे हुए 52 दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाया था। अब 27 साल बाद रेखा गुप्ता सीएम बनने वाली हैं। रेखा गुप्ता को सीएम के लिए चुनना BJP का तुरुप का इक्का माना जा रहा है। 27 साल पहले भी कुछ ऐसा ही हुआ था, तो चलिए एक नजर डाल लेते हैं आज की बीजेपी और उस समय की बीजेपी में।
5 साल में बदलने पड़े 3 CM
1993 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी 70 में से 49 सीटें जीतकर स्पष्ट बुहमत के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन उस वक्त BJP की स्थिती इतनी ज्यादा मजबूत नहीं थी। राजनीतिक उठा-पटक की वजह से दिल्ली में तब के 5 साल में भारतीय जनता पार्टी को तीन मुख्यमंत्री देने पड़े। उस वक्त सबसे पहले मदन लाल खुराना को सीएम बनाया गया। जो दो साल तक सीएम के पद पर रहे। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा ढाई साल से ज्यादा सीएम रहे। वहीं आखिरी दिनों में 52 दिन के लिए यह पद सुषमा स्वराज को दिया गया।
समय के साथ मजबूत होती चली गई बीजेपी
आज की बीजेपी और 27 साल पहले की बीजेपी में जमीन आसमान का अंतर है। तीन दशक पहले तक देश में तेजी से राजनीति में उठापटक का दौर चालू था। 1996 के आम चुनाव के बाद बीजेपी सत्ता में आई। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी महज 16 दिन के लिए ही प्रधानमंत्री बन सके। उस वक्त कांग्रेस के समर्थन से यूनाइटेड फ्रंट के दो नेता पीएम बने। पहले एचडी देवीगौड़ा और फिर इंद्रकुमार गुजराल को प्रधानमंत्री बनाया गया। केंद्र में बदलते समीकरणों का असर दिल्ली पर भी होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। पिछले ढाई दशकों से बीजेपी अपने सहयोगी पार्टियों के साथ केंद्र में बनी हुई है।
उस समय बीजेपी कांग्रेस के मुकाबले कुछ हद तक कमजोर नजर आती थी। ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी के मुख्यमंत्रियों को हाईकमान से इतना सपोर्ट नहीं मिलता था, जितना कि आज मिल रहा है। उस दौर में बीजेपी हाईकमान अलग चुनौतियों से लड़ रहा था और सुषमा स्वराज दिल्ली की अलग चुनौतियों का सामना कर रही थी। लेकिन अब समय बदल गया है। रेखा गुप्ता के साथ आज पूरी बीजेपी हाईकमान खड़ी है। आज अगर किसी भी राज्य में भाजपा सरकार परेशानी में होती है तो हाईकमान चुटकियों में समस्या सुलझा देता है।
अंदरुनी खींचतान बीजेपी में हुई बंद
पहले के समय में बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं की बात सुनने के बाद फैसले लिए जाते थे, लेकिन अब अब स्थिति बदल गई है। अब जो हाईकमान फैसला लेती है उसे सभी को मानना होता है। ऐसे में पार्टी में आंतरिक खींचतान भी नहीं होती है और सरकार गिरने का जोखिम भी नहीं होता है।