India News (इंडिया न्यूज), Waqf Amendment Bill: काफी हंगामे के बाद कल देर रात लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया। पूरे दिन इस बिल पर बहस हुई। विपक्ष ने भी इस पर खूब हंगामा किया। बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ 232 वोट पड़े। आज यानी गुरुवार को यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा। अगर आज यह बिल राज्यसभा में पारित हो जाता है तो इस संशोधित बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर देश में लागू हो जाएगा। व
क्फ बिल पर काफी हंगामा हो रहा है। लेकिन इस हंगामे के पीछे की वजह क्या है? इस बिल का मकसद क्या है और अगर यह बिल राज्यसभा में पारित होने के बाद देश में कानून के तौर पर लागू हो जाता है तो क्या-क्या बदल जाएगा? आसान भाषा में समझें अहम बातें।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इसका उद्देश्य पिछले कानून की कमियों को दूर करना और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटना है।
वक्फ संशोधन बिल का उद्देश्य क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इसका उद्देश्य पिछले कानून की कमियों को दूर करना और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटना है।
वक्फ विधेयक में संशोधन की आवश्यकता क्यों है?
देश में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में बना था और इसके तहत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। इसमें पहला संशोधन वर्ष 1955 में किया गया था। इसके बाद वर्ष 1995 में नया वक्फ कानून बनाया गया। इसके तहत राज्यों को वक्फ बोर्ड बनाने का अधिकार दिया गया। वर्ष 2013 में संशोधन कर धारा 40 जोड़ी गई। लेकिन वक्फ अधिनियम, 1995 और उसका 2013 का संशोधन प्रभावी नहीं रहा, जिसके कारण वक्फ भूमि पर अवैध कब्जे, कुप्रबंधन और स्वामित्व को लेकर विवाद, संपत्ति पंजीकरण और सर्वेक्षण में देरी, बड़े पैमाने पर मुकदमेबाजी के कई मामले सामने आते रहे। इन समस्याओं को देखते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया। कानून मंत्रालय ने वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की और हितधारकों के साथ परामर्श किया। इसके बाद वक्फ विधेयक में संशोधन पर आम सहमति बनी और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया।
भारत में वक्फ प्रबंधन के प्रशासनिक निकाय
वक्फ संपत्तियों का प्रशासन वक्फ अधिनियम 1995 के तहत होता है। इसके अंतर्गत तीन प्रमुख प्रशासनिक निकाय हैं। इसमें केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी), राज्य वक्फ बोर्ड (एसडब्ल्यूबी) और वक्फ न्यायाधिकरण शामिल हैं। केंद्रीय वक्फ परिषद सरकार और राज्य वक्फ बोर्डों को नीतियों पर सलाह देती है, लेकिन वक्फ संपत्तियों को सीधे नियंत्रित नहीं करती है। हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है जो राज्य की वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण की देखभाल करता है। वहीं, वक्फ न्यायाधिकरण विशेष न्यायिक निकाय होते हैं, जो वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों की सुनवाई करते हैं।
वक्फ विधेयक में क्या बदलाव किए जा रहे हैं?
केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। कुछ मुख्य बदलाव इस प्रकार हैं – वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, कलेक्टर को संपत्ति का सर्वेक्षण करने का अधिकार देना और वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने का प्रावधान आदि।
- केंद्रीय वक्फ परिषद: इसमें दो गैर-मुस्लिम होंगे, सांसद, पूर्व न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्ति मुस्लिम नहीं होंगे। इसमें दो महिला सदस्य होना भी जरूरी है। मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मुस्लिम समुदाय से होंगे।
- राज्य वक्फ बोर्ड: राज्य सरकार दो गैर-मुस्लिम, शिया, सुन्नी, पिछड़े वर्ग के मुस्लिम, बोहरा और आगाखानी समुदाय से एक-एक सदस्य मनोनीत कर सकती है। इसमें कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं का होना जरूरी है।
- वक्फ ट्रिब्यूनल: इसमें अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। मुस्लिम कानून विशेषज्ञ का प्रावधान हटा दिया गया है। इसमें जिला न्यायालय के न्यायाधीश और संयुक्त सचिव (राज्य सरकार) शामिल होंगे। अब ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ 90 दिनों के भीतर कोर्ट में अपील की जा सकेगी।
- केंद्र सरकार के अधिकार: राज्य सरकारें कभी भी वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं। वक्फ पंजीकरण, खातों और ऑडिट पर नियम बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया है। अगर शिया वक्फ 15 प्रतिशत से ज्यादा है तो शिया और सुन्नी के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड होंगे। बोहरा और आगाखानी वक्फ बोर्ड को भी अनुमति दी गई है।
बदलावों पर सरकार और विपक्ष का तर्क
इन बदलावों को लेकर सरकार का तर्क है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता आएगी। इससे दुरुपयोग रुकेगा और मुस्लिम महिलाओं और गरीबों को फायदा होगा। वहीं, विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं। उनका कहना है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियां कमजोर होंगी और सरकारी दखल बढ़ेगा।
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