India News (इंडिया न्यूज), World Bank Warns India : भारत तेजी से विकसित देशों की श्रेणी में शामिल होने के रास्ते पर चल रहा है। लेकिन विश्व बैंक ने इस गति ठोड़ा धीमा कर दिया है। विश्व बैंक ने भारत को लेकर कुछ ऐसा कह दिया है, जो कि भारतीयों के लिए पसंद नहीं आएगी। इसल में विश्व बैंक ने कहा कि, विकसित देश बनने के लिए भारत के पास बहुत कम समय है और इस दौरान उसे कई बड़े सुधारों को अंजाम देना होगा और अगर भारत ऐसा न कर पाया तो तो उसे अमेरिका की मौजूदा इकोनॉमी के एक चौथाई बनने में ही 75 वर्ष लग जाएंगे। विश्व बैंक की ये टिप्पणी खासतौर पर प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में है। विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि भारत लगातार एक कम आय वाले वर्ग वाले समूह में शामिल है, जबकि विगत 34 वर्षों में 34 देशों ने मध्य आय वाले वर्ग से उच्च आय वाले वर्ग में अपनी जगह बना ली है।
‘कम आय वाले देशों के लिए आर्थिक प्रगति चुनौतीपूर्ण’
विश्व बैंक में चीफ इकोनॉमिस्ट इंद्रमीत गिल ने अपनी रिपोर्ट में उद्योग चैंबर सीआईआई के ग्लोबल इकोनॉमिक पॉलिसी फोरम कार्यक्रम में पेश की। अपनी रिपोर्ट में इंद्रमीत गिल ने बताया कि पिछले दो-ढ़ाई दशकों का डाटा बताता है कि कम आय वाले देशों के लिए आर्थिक प्रगति करना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। भू-राजनैतिक तनाव लगातार बढ़ रहा है, कारोबार के संरक्षण को लेकर विकसित देशों का रवैया कड़ा होता जा रहा है, नीतिगत अस्थिरता है, ब्याज दरें ज्यादा है, प्राकृतिक आपदाएं ज्यादा हो रही हैं।
विश्व बैंक की 2022 की रिपोर्ट की माने तो उस वक्त अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 37683 डॉलर था, जबकि उसी वर्ष भारत में आय 2393 डॉलर थी। अनुमान के हिसाब से अगर बड़े सुधार नहीं किये जाते हैं तो अमेरिकी आय का 25 फीसद स्तर हासिल करने में भारत को 75 वर्ष लग जाएंगे।
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कोविड के बाद बढ़ा कर्ज
आकड़ो के मुताबिक भारत पर भी विदेशी कर्ज का बोझ कोविड के बाद काफी तेजी से बढ़ा है। चीफ इकोनॉमिस्ट गिल ने अपनी रिपोर्ट में तीन कारण बताये हैं।
पहला- भारत में काफी ज्यादा गैर उत्पादक कंपनियां कारोबार में हैं।
दूसरा- महिलाओं को लगातार श्रम बाजार से अलग रखा गया है।
तीसरा- भारत में ऊर्जा की लागत काफी ज्यादा है।
विश्व बैंक ने भारत को विकसित भारत बनने के लक्ष्य को आपात स्थिति के तौर पर लेने का सुझाव दिया गया है। भारत के पक्ष में घरेलू व वैश्विक स्थिति की बात भी स्वीकार की गई है, लेकिन यह भी कहा गया है कि बहुत ज्यादा समय नहीं है। जिस तरह से अमेरिका ने 60-70 के दशक में सभी को बराबरी का अवसर दिया वैसा ही भारत को करना होगा।