India News ( इंडिया न्यूज़), India Elections China: भारत में लोकसभा चुनाव का समय जितना नजदीक आत हुआ दिख रहा है उतना ही इसके सुरक्षा को लेकर चुनौती भी बढ़ती जा रही है। इसी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसमे माइक्रोसॉफ्ट ने अमेरिका, दक्षिण कोरिया और भारत में आगामी चुनावों में हस्तक्षेप करने की चीन की संभावित योजनाओं के बारे में एक चेतावनी जारी की है। अमेरिकी टेक कंपनी की खतरा खुफिया टीम का अनुमान है कि चीन समर्थित साइबर समूह, कुछ हद तक उत्तर कोरियाई साइबर हमलावरों के साथ, इन महत्वपूर्ण चुनावों को निशाना बनाएंगे। इसके साथ ही माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि, “जैसा कि भारत, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में आबादी चुनाव की ओर बढ़ रही है, हम चीनी साइबर और प्रभाव अभिनेताओं को इन चुनावों को लक्षित करने की दिशा में काम करते हुए देखने की उम्मीद करते हैं।”
AI की मदद से प्रोपेगेंडा फैला रहा चीन
बका दें कि, माइक्रोसॉफ्ट ने खुलासा किया है कि चीन चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एआई की मदद से कंटेंट बनाने और उसे वायरल करने की योजना बना रहा है। हालांकि जनमत पर ऐसी सामग्री का वर्तमान प्रभाव न्यूनतम है। माइक्रोसॉफ्ट ने एआई-जनरेटेड मीम्स, वीडियो और ऑडियो के साथ चीन के बढ़ते प्रयोग के बारे में चेतावनी दी है। माइक्रोसॉफ्ट का मानना है कि ये आगामी हाई-प्रोफाइल चुनावों में एक शक्तिशाली उपकरण बन सकते हैं।
ताइवान में भी चीन ने गलत प्रचार किया
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एआई-समर्थित दुष्प्रचार अभियान में चीन के पिछले प्रयास का भी विवरण दिया गया है। किसी विदेशी चुनाव को प्रभावित करने के लिए एआई-जनित सामग्री का उपयोग करने के लिए चीनी सरकार समर्थित साइबर एजेंसी की यह पहली कार्रवाई है। एक बीजिंग समर्थक समूह, जिसे स्टॉर्म 1376 या स्पामोफ्लैज के नाम से जाना जाता है, इस अवधि के दौरान विशेष रूप से सक्रिय था। वह यूट्यूब पर फर्जी सामग्री पोस्ट कर रहा था और विजयी उम्मीदवार के बारे में एआई-जनरेटेड मीम्स बना रहा था।
AI के जरिए चीन लोगों को कैसे भड़का रहा
माइक्रोसॉफ्ट की जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन उम्मीदवारों के बारे में भ्रामक दावे फैलाने के लिए एआई की मदद से टीवी समाचार एंकरों की आवाज और छवियों की नकल कर रहा है। इन समाचार एंकरों को टिकटॉक की मालिक चीनी कंपनी बाइटडांस द्वारा कैपकट टूल का उपयोग करके विकसित किया गया था। इससे लोगों के मन में भ्रामक खबरों को लेकर संदेह पैदा नहीं होता और वे आसानी से उस पर विश्वास कर लेते हैं। चीन बड़ी संख्या में फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए भी झूठ फैला रहा है।