India Heat: आमतौर पर अभी तक हम यही सुनते आए हैं कि जलवायु परिवर्तन से समुद्र के किनारे बसे शहरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। लेकिन अब स्थिति उससे भी कहीं ज्यादा गंभीर हो गई है। आने वाले महीनों में भारत, पाकिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में भयानक गर्मी पड़ने वाली है। यह चेतावनी विशेषज्ञों ने दी है। पिछले साल भारत ने पिछले 120 सालों में सबसे गर्म मार्च का महीना दर्ज किया था। साल दर साल लू अधिक भीषण होती जा रही है जिससे बड़ी संख्या में लोग जान गंवाते हैं। इसका कारण जलवायु परिवर्तन है।

मंडरा रहा है वेट-बल्ब खतरा

पीटर डायन्स जोकि MEER.org के मुख्य रणनीति अधिकारी हैं, ने चेतावनी दी है कि भारत में वेट-बल्ब का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, “इस बार गर्मी भारत को मानव अस्तित्व की सीमा के करीब धकेल सकती है। भारत में फरवरी के सबसे गर्म रिकॉर्ड के अनुभव के बाद आने वाले हफ्तों में तापमान बढ़ने का अनुमान है। यदि वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहती है तो इस क्षेत्र में वेट-बल्ब का गंभीर खतरा है।”

क्या होता है वेट-बल्ब तापमान?

वेट बल्ब तापमान उमस भरी गर्मी से बढ़ता है। यह अधिकतम तापमान और नमी के स्तर को मिलकर बनता है। एक आम आदमी जो 45 डिग्री तापमान सह सकता है, उसके लिए 32 डिग्री वेट बल्ब में रहना काफी मुश्किल हो जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार 35 डिग्री तापमान में नमी का स्तर 50 से 55 डिग्री तक हो तो ऐसा मौसम असहज करने वाला हो जाता है।

सबसे घातक वेट बल्ब घटना

पीटर ने ट्वीट किया, “सबसे घातक वेट बल्ब घटनाओं में से एक वास्तव में शिकागो में हुई थी। यहां 700 से अधिक लोग जिसमें ज्यादातर बुजुर्ग और गरीब थे, गर्मी और उमस की चपेट में आए थे। 1995 की गर्मी की लहर अमेरिकी इतिहास की सबसे घातक जलवायु आपदाओं में से एक थी। इसमें संयुक्त रूप से स्टॉर्म सैंडी और हार्वे से 3 गुना ज्यादा लोग मारे गए थे।”

कहां-कहां दिखेगा गर्मी का प्रकोप

गर्मी की भीषणता को दिखाने के लिए पीटर ने एक नक्शा शेयर किया है। इसमें भयानक गर्मी की चपेट में दक्षिण-पश्चिम भारत का एक बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है। भयानक गर्मी की चपेट में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा भी आता हुआ नजर आ रहा है। इसके अलावा कराची, लरकाना, मुल्तान जैसे शहर भी भीषण गर्मी की चपेट में आ सकते हैं। डॉन की खबर के अनुसार पाकिस्तान पानी की भारी किल्ल्त की ओर बढ़ रहा है। जिसका सबसे बड़ा असर वहां के किसानों पर पड़ेगा।

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