India News (इंडिया न्यूज), Indigenous Fighter Jets : भारतीय वायुसेना इस समय लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। वहीं, दूसरी ओर पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों ही देश तेजी से अपनी हवाई ताकत बढ़ा रहे हैं। लड़ाकू विमानों की कमी को दूर करने के लिए अमेरिकी एफ-35 या रूस के एसयू-57 का सौदा कर सकते हैं, लेकिन सामने आ रही जानकारी के अनुसार भारत इन विदेशी विमानों की बजाय अपने स्वदेशी लड़ाकू विमानों पर ज्यादा ध्यान देने वाला है।
विदेशी को ना, स्वदेशी को हां
दरअसल, कुछ समय पहले भारत सरकार ने वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए 114 मिनट का प्रस्ताव (एमआरएफए) बनाया था। इस प्रोजेक्ट में एफ-35, एसयू-57, एफ-21, ग्रिपेन, राफेल, यूरो 100 शामिल हैं
लेकिन इसके बाद भी कई सालों से यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई है, जिसका असर वायुसेना पर पड़ रहा है। एक वजह यह भी है कि अगर भारत इन विमानों को लेकर किसी कंपनी से सौदा करता भी है, तो उसे विमानों की डिलीवरी में काफी समय लग रहा है।
31 लड़ाकू स्क्वाड्रन मौजूद, 42.5 की जरूरत
लड़ाकू विमानों की कमी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारतीय वायुसेना के पास अभी 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, जबकि उसे 42.5 स्क्वाड्रन की जरूरत है। वहीं, पुराने मिग-21 विमानों को भी धीरे-धीरे सेवा से हटाया जा रहा है। यही वजह है कि भारत अब विदेशी विमानों की जगह स्वदेशी लड़ाकू विमानों पर ज्यादा ध्यान देने पर काम कर रहा है।
भारत की उम्मीदें AMCA और तेजस Mk2 पर टिकी
फिलहाल भारत अपने दो स्वदेशी लड़ाकू विमानों पर ज्यादा ध्यान दे रहा है, जो 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA और 4वीं पीढ़ी के तेजस Mk-2 हैं।” इन्हें तैयार किया जा रहा है। अब सरकार इन दोनों लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही है, ताकि भारतीय वायुसेना और मजबूत हो सके और दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो सके।
AMCA भारत का पहला स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है। इसे DRDO और HAL मिलकर बना रहे हैं। तेजस Mk2 तेजस लड़ाकू विमान का अपग्रेडेड वर्जन है। यह चौथी पीढ़ी का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है। एमके2 का उत्पादन 2025 के बाद शुरू होने की संभावना है।