India News (इंडिया न्यूज), India’s Foreign Exchange: भारत ने हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे स्थान पर है। इसके साथ ही भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर को पार कर गया है। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3 जनवरी 2025 को 634.59 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल सितंबर के अपने उच्चतम स्तर 704.89 अरब डॉलर से करीब 70 अरब डॉलर कम है।

क्यों हो रही विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट?

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बदलाव, कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी निवेश प्रवाह से काफी हद तक प्रभावित होता है। खासकर, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर बड़ा असर पड़ता है, क्योंकि भारत भारी मात्रा में आयात करता है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भुगतान संतुलन पर दबाव पड़ता है और विदेशी मुद्रा भंडार कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक वित्तीय अस्थिरता, जैसे कि अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि या अन्य देशों में आर्थिक संकट, भी भारतीय मुद्रा भंडार को प्रभावित कर सकते हैं।

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विदेशी मुद्रा भंडार एक महत्वपूर्ण तत्व

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, जब सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $704.89 बिलियन के अपने उच्चतम स्तर पर था, तो यह संख्या भारतीय रुपये की मजबूती और विदेशी निवेश में वृद्धि को दर्शाती थी। लेकिन वर्तमान में, $634.59 बिलियन तक की गिरावट का मतलब है कि हाल के महीनों में कुछ चुनौतियाँ सामने आई हैं। देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार एक महत्वपूर्ण तत्व है। एक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मदद करता है, जिससे देश को आयात और निर्यात में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। 

इसके अलावा, यह भंडार मुद्रा बाजार में भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने में भी सहायक होता है। अगर कभी देश को मुद्रा संकट का सामना करना पड़ता है, तो यह भंडार देश के विदेशी ऋण दायित्वों और अन्य वित्तीय संकटों से निपटने के लिए काम आता है।

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भारत की इकॉनॉमी के लिए मजबूत स्तंभ

हालांकि, ताजा गिरावट चिंता का विषय हो सकती है। लेकिन भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी बहुत मजबूत स्थिति में है। 634.59 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और वैश्विक स्तर पर इसकी प्रभावशाली स्थिति को दर्शाता है। रिजर्व बैंक के अनुसार, यह उपलब्धि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और मजबूत वित्तीय प्रबंधन को साबित करती है। इस विदेशी मुद्रा भंडार का मतलब है कि भारत सरकार और रिजर्व बैंक के पास वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव को झेलने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।

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