India News (इंडिया न्यूज), Bhargavastra: भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव के दौरान पाकिस्ओतान की ओर से ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए गए थे। भारतीय सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि पश्चिमी सीमा पर हमला करने के लिए पाकिस्तान की ओर से करीब 400 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। भारत ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। वहीं, आज भारत ने ओडिशा के गोपालपुर में स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवस्त्र’ का सफल परीक्षण किया। SADL ने काउंटर ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवस्त्र’ का सफल परीक्षण किया है जो एक साथ कई ड्रोन पर हमला करने में सक्षम है। बड़ी बात यह है कि इसे आम तौर पर बनने वाले ड्रोन सिस्टम से काफी कम कीमत पर तैयार किया गया है।
परीक्षण सभी मापदंडों पर सफल रहा
इस काउंटर ड्रोन सिस्टम में इस्तेमाल किए गए माइक्रो रॉकेट का गोपालपुर स्थित सीवार्ड फायरिंग रेंज में व्यापक परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान इसने सभी निर्धारित उद्देश्यों को पूरा किया। 13 मई 2025 को गोपालपुर में आर्मी एयर डिफेंस के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में रॉकेट के तीन परीक्षण किए गए। दो परीक्षण एक-एक रॉकेट दागकर किए गए। एक परीक्षण 2 सेकंड के भीतर साल्वो मोड में दो रॉकेट दागकर किया गया। चारों रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को कम करने में सफल रहे।
जानिए इसकी खासियत
- भारतीय रक्षा कंपनी सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने हार्ड किल मोड में लॉन्च होने वाला एंटी-ड्रोन सिस्टम भार्गवस्त्र डिजाइन और विकसित किया है।
- इसकी खासियत यह है कि भार्गवस्त्र 6 किलोमीटर या उससे ज्यादा की दूरी पर ड्रोन के झुंड का पता लगा सकता है और उसके हमले को बेअसर कर सकता है।
- यह मानव रहित हवाई वाहनों के खतरों का बखूबी मुकाबला कर सकता है।
- 2.5 किलोमीटर तक की दूरी पर आने वाले छोटे ड्रोन का पता लगाने और उन्हें खत्म करने की क्षमता से लैस है।
- भार्गवस्त्र एक माइक्रो मिसाइल आधारित रक्षा प्रणाली है। इसे भारत में ही विकसित किया गया है। इसे ड्रोन हमलों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है।
- यह एक मल्टी काउंटर ड्रोन सिस्टम है, जिसमें रक्षा की पहली परत के रूप में बिना गाइडेड माइक्रो रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। यह 20 मीटर के घातक दायरे वाले ड्रोन के झुंड को बेअसर कर सकता है।
- भार्गवस्त्र एक अत्याधुनिक कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर से लैस है, जिसमें उन्नत C4I (कमांड, कंट्रोल, संचार, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस) की सुविधा है।
- इस सिस्टम का रडार एक मिनट में 6 से 10 किलोमीटर दूर हवाई खतरों का पता लगा सकता है और कुछ सेकंड में उन्हें बेअसर कर सकता है।
भार्गवस्त्र का नाम कैसे पड़ा?
भार्गवस्त्र नाम भगवान परशुराम के अस्त्र से लिया गया है। परशुराम के अस्त्र का नाम भार्गव अस्त्र था, यह बहुत शक्तिशाली अस्त्र था। ऐसे हथियार भविष्य के युद्धों में बहुत उपयोगी साबित होंगे। इसकी मारक क्षमता को देखते हुए इसका नाम भगवान परशुराम के अस्त्र के नाम पर रखा गया है।
देश की सुरक्षा में मील का पत्थर
इसे अलग-अलग इलाकों के साथ-साथ समुद्र तल से 5 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। यह देश की सुरक्षा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। खासकर हाल के दिनों में जिस तरह से पाकिस्तान की ओर से भारत पर ड्रोन हमले किए गए हैं, उसे देखते हुए एक मजबूत एंटी-ड्रोन सिस्टम की बहुत जरूरत है।
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