India News (इंडिया न्यूज), Indian Army Weapons: भारत अपने दो दुश्मनों से घिरा हुआ है। एक तरफ जहां पाकिस्तान है, तो दूसरी तरफ चीन। ये दोनों समय-समय पर भारत के खिलाफ साजिश रचते रहते हैं। परंतु भारत भी उनके हर नापाक कदम को बेनकाब और रोकता रहता है। वहीं अब भारत के हाथ ऐसी हथियार लगी है, जिससे पाकिस्तान, चीन के साथ-साथ किसी भी आतंकी वारदात को पलक झपकते रोका जा सकता है। दरअसल, भारत को ये हथियार अमेरिका और रूस से मिल चुके हैं और अगली खेप आनी बाकी है। हाल के दिनों में एलओसी और एलएसी पर कई आपत्तिजनक गतिविधियों और तैयारियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के पास अब अमेरिका से सबसे आधुनिक असॉल्ट राइफलें अमेरिकी सिग सॉयर और रूसी एके-203 हैं और अगली खेप आनी बाकी है।
इस हथियार से कंपेगा चीन-पाक
बता दें कि, भारतीय सेना को पहली खेप मिल चुकी है और यह पाकिस्तान और चीन के मोर्चे पर भारतीय जवानों के हाथ में है। भारतीय सेना को लंबे समय से असॉल्ट राइफलों का इंतजार था। अब भारतीय सेना को अमेरिका में बनी सिग सॉयर और रूसी एके-203 की पहली खेप मिल गई है। साथ ही तीन दशक से भी अधिक समय से भारतीय सेना की ताकत रही इंसास (इंडियन नेशनल स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफल अब इतिहास का हिस्सा बनने जा रही है। असॉल्ट राइफलें अमेरिकी सिग सॉयर और रूसी एके-203 की जगह ले रही हैं।
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सैनिकों के पास है 72400 सिग सॉयर राइफलें
बता दें कि, अमेरिका से खरीदी गई 72400 सिग सॉयर राइफलें पहले ही सैनिकों को सौंपी जा चुकी हैं। इसके बाद 73000 और सिग सॉयर राइफलों का ऑर्डर भी दिया गया है। दिसंबर 2023 में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद ने अतिरिक्त सिग सॉयर राइफलों की खरीद को मंजूरी दी है। इससे पहले 2019 में 72400 सिग 716 का ऑर्डर दिया गया था। अमेरिकी कंपनी सिग सॉयर ने बयान जारी कर जानकारी दी कि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के साथ 73000 सिग सॉयर राइफलों की खरीद के लिए अनुबंध किया गया है। भारत फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत आपातकालीन खरीद कर रहा है और रक्षा मंत्रालय ने दोनों खेपों को मिलाकर भारतीय सेना के लिए कुल 145,400 सिग सॉयर राइफलें खरीदी हैं। फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत आपातकालीन स्थिति में करीब 1.5 लाख सिग सॉयर राइफलें खरीदी गई हैं।
इस राइफल की खासियत की बात करें तो यह वजन में बेहद हल्की है और इसकी मारक क्षमता 7.62 कैलिबर की है। इस राइफल की बैरल 16 इंच की है और इसकी रेंज 400 मीटर है और यह सटीक निशाना लगाती है। इसमें 6 अलग-अलग टेलिस्कोपिक पोजिशन हैं। सिग सॉयर की पहली खेप पहले से ही एलएसी और एलओसी पर तैनात जवानों के पास मौजूद है।
सेना के पास पहुंची रूसी AK-203
बता दें कि, अब भारत में बनी रूसी AK-203 भी सेना को मिलनी शुरू हो गई है। भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम इंडो रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भारत में अमेठी में इसका निर्माण कर रही है और उसने रक्षा मंत्रालय को 35000 AK-203 राइफलें सौंपी हैं। इस राइफलें के बारे में खास बात यह है कि अब तक भारतीय सेना 5.62 एमएम कैलिबर की इंसास राइफल का इस्तेमाल करती रही है। इसकी मारक क्षमता को बढ़ाते हुए इसे 7.62X39 एमएम कैलिबर की एके-203 से बदला जा रहा है। एके सीरीज की अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल एके-203 की सैन्य ताकत के साथ ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए रूस और भारत संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश के अमेठी में एके-203 का उत्पादन कर रहे हैं।
पहले से हमारे पास है INSAS राइफल
बता दें कि, LAC और LOC पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के हाथ में अब तक INSAS राइफलें रही हैं। जो करीब 30 साल से भारतीय सेना में अपना काम कर रही हैं। अब इनमें बदलाव आना शुरू हो गया है। कारगिल युद्ध में भी भारतीय सेना के जवानों ने इन्हीं INSAS राइफलों के जरिए पाकिस्तान को भारतीय जमीन से खदेड़ दिया था। लेकिन अब सेना के जवानों के हाथ मजबूत करने के लिए अमेरिका से सिग सॉयर राइफलें सौंपी गई हैं।