India News (इंडिया न्यूज़) Jharkhand: झारखंड राज्य में धार्मिक न्यास बोर्ड के गठन के बाद झारखंड के मंदिरों में प्रबंधन को लेकर लगभग 20 मंदिरों को नोटिस भेजा गया है। जिसके तहत राजधानी रांची का ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर एवं मुख्य मार्ग पर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर भी है। इस मंदिर के निर्माण से लेकर अब तक साधु संत के द्वारा संचालित निर्मोही अखाड़ा के द्वारा प्रबंधन और देखरेख किया जाता रहा है। विगत 21 सितंबर को राजधानी रांची के संकट मोचन हनुमान मंदिर के निर्मोही अखाड़ा महामंडलेश्वर के पास धार्मिक न्यास बोर्ड के पदाधिकारी ने आकर इन्हें संकट मोचन हनुमान मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव बनाने का कागजात प्रस्तुत किया। सचिव पद को स्वीकार नहीं करने को एवं उसके खंडण को लेकर महामंडलेश्वर के द्वारा राजधानी रांची के संकट मोचन मंदिर में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई।
प्रेस वार्ता में रखा अपना पक्ष
इस प्रेस वार्ता के माध्यम से महामंडलेश्वर ने उनके साथ धार्मिक न्यास बोर्ड के पदाधिकारी के द्वारा हुए संपूर्ण वक्तव्य एवं वाक्य को बताया। उन्होंने धार्मिक न्यास बोर्ड के इस प्रकार के फैसले को पूर्ण रूप से खंडन किया। उन्होंने कहा कि यह संकट मोचन मंदिर निर्माण से लेकर अब तक साधु संत समाज की ओर से के देखरेख में संरक्षित संचालित होती आ रही है। एवं इस प्रकार के धार्मिक न्यास बोर्ड का फैसला कदापि भी तर्कसंगत नहीं दिखता। यदि उन्हें किसी मंदिर को संरक्षित और उत्थान करना है तो कई मंदिर ऐसे हैं जो देखरेख के अभाव में उत्थान को लेकर प्रतीक्षारत हैं। उन्होंने कहा कि यदि धार्मिक न्यास बोर्ड को चाहिए कि उन मंदिरों पर तत्काल ध्यान केंद्रित करें।
रांची विधायक ने किया साधु संत समाज का समर्थन
वही साधु संत समाज के समर्थन में आए रांची विधायक का कहना है कि धार्मिक न्यास बोर्ड के पदाधिकारी से मंदिर के लोगों को किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं है पर मंदिरों को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। एवं सनातन धर्म पर हमला करने और नीचा दिखाने वाले एवं कब्जा करना चाहने वाले लोगों को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा।
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