India News (इंडिया न्यूज),Journey of old Parliament building: पांच दिवसीय संसद का विशेष सत्र आज, 18 सितंबर से शुरू हो गया है। ऐसे में कल से संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की कार्यवाही नए संसद भवन में चलेगी। पुराने संसद भवन में पहली लोकसभा का सत्र मई 1952 में हुआ था। तब से अब तक संसद की हर कार्यवाही इस भवन से चलती रही है। नए भवन से कार्यवाही शुरू होने के बाद पुराना संसद भवन एक इतिहास के तौर पर याद किया जाएगा। ऐसे में इसे लेकर पीएम ने कहा कि इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर है।
महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर
पुराने संसद भवन के भीतर संसद के विशेष में संबोधन देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,”देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा इसका एक बार पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर है। हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। आज़ादी के पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था। आज़ादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में पहचान मिली।”
पुराने संसद भवन के निर्माण में देशवासियों का अहम योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह सही है कि इस इमारत(पुराने संसद भवन) के निर्माण करने का निर्णय विदेश शासकों का था लेकिन यह बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के थे।”
पुराने संसद भवन का निर्माण?
बता दें पुराने संसद भवन का शिलान्यास प्रिंस ऑर्थर के द्वार 1921 में किया था। इसे बनने में 6 साल लगे थे ऐसे में 1927 में इसका उद्याटन किया गया था। प्रिंस ऑर्थर यूके की महारानी विक्टोरिया के तीसरे बेटे थे। इसके निर्माण की आधारशिला तब रखी गई थी, जब ब्रिटिश सरकार ने अपनी राजधानी दिल्ली को बनाया। इसके पहले कोलकाता अंग्रेजी हुकूमत की राजधानी हुआ करती थी। ब्रिटिश सरकार ने इसी प्रशासनिक भवन के पूरे देश पर नियंत्रण करने की योजना बनाई थी और इसलिए इस भवन का निर्माण किया गया था।
आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने की थी निर्माण
प्रशासनिक निर्माण की जिम्मेदारी आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दी गई। इसने नार्थ, साउथ ब्लाॅक का निर्माण भी शामिल था। इसलिए संसद भवन और उसके आस-पास के क्षेत्र को लुटियंस जोन के नाम से भी जाना जाता था। इससे निर्माण में 6 साल का वक्त लगा और इसका उद्याटन उस समय के वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। उस समय निर्माण में कुल 83 लाख रुपये की लागत आई थी।
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