India News (इंडिया न्यूज), Myanmar Junta Army: म्यांमार में जुंटा आर्मी और विद्रोहियों के बीच संघर्ष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में ड्रोन से हुए हवाई हमले में सेना के एक जनरल समेत कई जवानों की जान चली गई थी। विद्रोहियों के सामने जुंटा हमेशा कमजोर नजर आती रही है। परंतु अब लड़ाई अंतिम चरण की ओर बढ़ती दिख रही है। सेना एक हफ्ते से ऑपरेशन चला रही है, जिसे आंग जेया नाम दिया गया है। इस ऑपरेशन को जुंटा के लिए करो या मरो के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें कुछ सफलता मिलती दिख रही है। दरअसल, जुंटा 25 अप्रैल को अपने लक्ष्य में सफल हो गई, जब उसने जमीन और नदी के रास्ते आगे बढ़ने के बाद कावबिन पर दोबारा कब्जा कर लिया।

जुंटा आर्मी ने शुरू किया अभियान

बता दें कि, ऑपरेशन आंग जेया के तहत सेना अब डावना रेंज में आगे बढ़ रही है। म्यांमार में चल रही इस लड़ाई में कई पहलू सामने आ रहे हैं। प्रमुख अभियान जो अप्रैल में शुरू हुआ था, अब थाई सीमा पर एशियाई राजमार्ग पर कावकारिक और पश्चिम में ग्यांग नदी पर कावबिन शहरों पर फिर से कब्ज़ा करना है। जिस पर विद्रोहियों ने मार्च के अंत में नियंत्रण कर लिया था। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कावकेरिक से सेना को हटाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इससे पश्चिमी शहर ख़तरे में पड़ सकते हैं। यांगून के मुख्य राजमार्ग हापा एन हाईवे के दक्षिण में स्थित कावबिन शहर पर पहले भी विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है।

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क्यों हो रहा है म्यांमार में विवाद?

दरअसल, म्यांमार में करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी ने जुंटा के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। वे चाहते हैं कि थाईलैंड की सीमा से लगे म्यांमार से सेना का अस्तित्व ख़त्म हो जाए। सेना के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे विद्रोहियों ने मायावाडी पर कब्ज़ा कर लिया था। यह इलाका थाईलैंड में माए सॉट के सामने है, इसमें करीब 2 लाख लोग रहते हैं। यहां की सीमा जुंटा के नियंत्रण में थी। इस शहर का खोना सेना के लिए एक बड़ा झटका माना गया। जुंटा और करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी के बीच संघर्ष के कारण लगभग 1300 लोगों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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