India News (इंडिया न्यूज), Kailash Mansarovar Yatra: आखिरकार एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल के लंबे इंतजार के बाद शुरू होने जा रही है। यह पवित्र यात्रा जून 2025 में सिक्किम के नाथू-ला दर्रे (भारत-चीन सीमा) के रास्ते फिर से शुरू होगी। कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा पर तनाव के कारण 2020 से यह यात्रा स्थगित कर दी गई थी।
सनातन धर्म को मानने वालों के लिए यह यात्रा धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यह यात्रा हिंदू, बौद्ध, जैन और बॉन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखती है। यह पहल एक बार फिर ऐसे समय में की जा रही है जब सिक्किम को राज्य का दर्जा मिलने के 50 साल पूरे हो रहे हैं।
विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी में यात्रा
यात्रा का संचालन विदेश मंत्रालय करेगा और यह जून से सितंबर तक चलेगी। इस यात्रा के लिए दो सरकारी रूट हैं, पहला उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा और दूसरा सिक्किम का नाथू-ला दर्रा। इस वर्ष 50 तीर्थयात्रियों के 10 जत्थे नाथू-ला के रास्ते यात्रा पर निकलेंगे। प्रत्येक जत्थे की यात्रा की अवधि 21 दिन होगी और प्रति यात्री अनुमानित व्यय 2.83 लाख रुपये होगा।
पहला जत्था 15 जून को दिल्ली से रवाना होगा और 20 जून को तिब्बत पहुंचेगा, जबकि अंतिम जत्था 7 अगस्त को रवाना होगा। यात्रियों के पास पूरी यात्रा के दौरान वैध भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए और इस यात्रा पर सरकार द्वारा सब्सिडी नहीं दी जाती है।
नाथू ला पर बुनियादी ढांचे का निर्माण
सिक्किम सरकार नाथू-ला मार्ग पर बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। राजधानी गंगटोक से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित इस मार्ग पर विश्राम गृह, शौचालय और दो अनुकूलन केंद्र बनाए जा रहे हैं, ताकि तीर्थयात्रियों को ऊंचाई पर होने वाली परेशानियों से राहत मिल सके।
सिक्किम पर्यटन विकास निगम यानी एसटीडीसी को इस यात्रा की जिम्मेदारी दी गई है। 11 से 14 जून के बीच दिल्ली स्थित आईटीबीपी कैंप में स्वास्थ्य जांच की जाएगी। इसके बाद चीनी दूतावास में वीजा प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कई सालों से बंद पड़ी यह यात्रा एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए खुलने जा रही है, जिससे धार्मिक भावनाओं और क्षेत्रीय पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिलेगा।