India News (इंडिया न्यूज),Kanwar Yatra Nameplate: सीएम योगी आदित्यनाथ की नेम प्लेट के आदेश पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि इस मामले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी क्योंकि धर्म की आड़ में नफरत की राजनीति की जा रही है।

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आदेश पर कानूनी फैसले पर विचार करने में जुटी

कांवड़ यात्रा से जुड़े इस आदेश में भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक यात्रा से जुड़े सभी कानूनी सिद्धांतों पर विचार करने की भी बात कही गई है। रविवार (21 जुलाई) को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस संबंध में एक अहम बैठक की है। जमीयत का यह भी कहना है कि उसकी कानूनी टीम ने इस आदेश पर कानूनी फैसले पर विचार करने में जुटी है।

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश की जमीयत उलेमा ए हिंद ने आलोचना की। संगठन ने शनिवार (20 जुलाई) को कहा कि यह ‘भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक’ फैसला है तथा इससे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का हनन होता है।

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बता दें कि मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नेम प्लेट लगाने के आदेश के कुछ दिन बाद शुक्रवार (19 जुलाई) को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया।

मौलाना अरशद मदनी ने क्या कहा?

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘यह भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक फैसला है। इस फैसले से देश विरोधी तत्वों को फायदा उठाने का मौका मिलेगा और इस नए आदेश से सांप्रदायिकता को गंभीर नुकसान पहुंचने का खतरा है।’ मदनी ने यह भी कहा, ‘देश के सभी नागरिकों को संविधान में पूरी आजादी दी गई है कि कोई चाहे किसी भी समुदाय का हो, उसकी निजी पसंद में बाधा नहीं डाली जाएगी, क्योंकि यह नागरिकता के मौलिक अधिकार का मामला है।’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन परिषद प्राधिकरण आदेश का उल्लंघन कर रहा है।