इंडिया न्यूज़ (Collegium system): कोलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध जारी है। कोलेजियम सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए बनाया गया है। सरकार सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम सिस्टम में अपना प्रतिनिधि चाहती है। इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में सरकार के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।

रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को निरस्त करते हुए संभावित पुनर्गठन की बात की थी। हालांकि, उसके बारे में आज तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। रिजिजू ने हाईकोर्ट के कोलेजियम में भी सरकार के प्रतिनिधि को शामिल करने का सुझाव दिया है।

रिजिजू ने एलियन से की कोलेजियम सिस्टम की तुलना

किरेन रिजिजू कोलेजियम सिस्टम की तुलना एलियन से की हैं। उन्होंने कोलेजियम सिस्टम को संविधान के लिए एलियन बताया है। रिजिजू ने ऐसी किसी भी प्रणाली पर कड़ी आपत्ति जताई है जिसमें सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने एनजेएसी को रद्द किये जाने के फैसले की भी आलोचना की है। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था।

उपराष्ट्रपति भी कर चुके हैं कोलेजियम की आलोचना

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी न्यायपालिका की अस्पष्टता को लेकर आलोचना कर चुके हैं। धनखड़ का कहना है कि जजों के चयन में सरकार की भूमिका होनी चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कोलेजियम प्रणाली का दृढ़ता से बचाव किया है।

जानें कोलेजियम क्या है?

कोलेजियम का गठन साल 1993 में हुआ था। इसमें मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चार जज होते हैं। इन पांच लोगों की सिफारिश पर ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति होती है। मुख्य न्यायाधीश ही इसके अध्यक्ष होते हैं। हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति पर भी कोलेजियम फैसला लेती है। इस कोलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और राज्यपाल शामिल होते हैं।