India News (इंडिया न्यूज), Kolkata Victim PM Report: कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है। सूत्रों की मानें तो अब कोलकाता के अर्जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में रेप हुए ट्रेनी डॉक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भयावहता की हदें पार हो गई हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई ऐसी चीजें आई है जो दिल दहला देगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखने के बाद पता चला कि पीड़िता के साथ बर्बरता से रेप और मर्डर हुआ है पीएम रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता के शरीर पर कुल 14 से ज्यादा चोटों के निशान थे। लेकिन कहा जा रहा है कि कोई फ्रैक्चर नहीं हुआ है। आपको बता दें कि मृतका के शरीर पर कहां और कितना जख्म दिया गया था सब पता चल गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या- क्या लिखा होता है और कैसे ये रिपोर्ट एक पूरी वारदात को सुलझाने से लेकर दोषी को सजा दिलाने में मदद करता है।

पोस्टमार्टम क्या है?

पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है। ऐसे में कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर यह पोस्टमार्टम होता क्या है और कैसे यह किसी भी केस को सुलझाने में मदद करता है। मेडिकल साइंस की भाषा में समझे तो यह विज्ञान की दुनिया की एक जरूरी प्रक्रिया होती है। जब भी किसी शख्स की असामान्य तरीके से मृत्यु होती है तो ऐसे में यह प्रक्रिया मृत्यु के कारणों का पता लगाने में मदद करती है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि व्यक्ति की मौत क्यों हुई और कैसे हुई।


कब शुरुआत हुई पोस्टमार्टम की?

तो चलिए जानते हैं कि आखिर पोस्टमार्टम की शुरुआत कब हुई। पोस्टमार्टम को ऑटोप्सी भी कहते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो 3500BC में सबसे पहले इसकी शुरुआत इराक में हुई थी। पहली बार ऑटोप्सी की प्रक्रिया को एक जानवर के शरीर पर अपनाया गया था। लेकिन उस वक्त पोस्टमार्टम का यह मकसद नहीं होता था कि उसकी मौत कैसे हुई। ऐसी मान्यता थी की ऑटोप्सी करने से भगवान क्या संदेश देना चाहते हैं उसकी जानकारी मिलती है। फिर चलते हैं 14वीं शताब्दी में जहां इटली की यूनिवर्सिटी में डाइसेक्शन को पढ़ाना शुरू किया गया। हमारे भारत देश की बात करें तो इतिहास के पन्नों में भी इसका जिक्र है। कहा जाता है कि चाणक्य ने सबसे पहले ऑटोप्सी की अहमियत को समझा था। उन्होंने माना था कि इससे पता चल सकता है की मौत की वजह क्या है। कई रिपोर्ट यो भी दावा करती हैं कि महर्षि सुश्रुत का नाम भी इसमें आता है। जिन्हें हमारे देश में फादर और सर्जरी भी कहा जाता है। ऑटोप्सी पर एक उनकी किताब भी है जिसका नाम है सुश्रुत संहिता।  इसमें सर्जरी से रिलेटेड हर वह जानकारी मौजूद है जो डॉक्टर को आज के जमाने में पढ़ाया जाता है।

पोस्टमार्टम कितने प्रकार के होते हैं?

स्टमार्टम को आसान शब्दों में समझे तो अगर किसी की अननेचुरल तरीके से या कह लीजिए की अस्वाभाविक तरीके से मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में पोस्टमार्टम किया जाता है। मौत का कारण, शव की पहचान करनी हो या मौत कब हुई है सही समय की जानकारी को प्राप्त करने के लिए भी पोस्टमार्टम किया जाता है। कई बार शव डीकंपोज हो जाता है ऐसी हालत में पोस्टमार्टम मौत का सटीक समय क्या था इसकी जानकारी देता है।

पोस्टमार्टम दो प्रकार के होते हैं

पहला है मेडिको लीगल पोस्टमार्टम जिसमें सिर्फ पुलिस या मजिस्ट्रेट के ऑर्डर पर ही ऑटोप्सी की जाती है। इसमें संदिग्ध मोते होती है या फिर जहां पर पुलिस को शक होता है इसलिए इसे मेडिको लीगल पोस्टमार्टम कहते हैं। दूसरी है क्लीनिकल या हॉस्पिटल पोस्टमार्टम इस शोध के उद्देश्य से किया जाता है। जब किसी तरह की कोई रिसर्च करनी होती है तब इस तरह के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया अपनाई जाती है इसमें मृतक के जो रिश्तेदार होते हैं उनकी मंजूरी जरूरी होती है।

PM रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता का हुआ गैंगरेप

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता के बाहरी और आंतरिक जननांग का वजन 151 ग्राम था इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला का गैंगरेप हुआ है और अभी तक गिरफ्तारी केवल एक ही व्यक्ति की हुई है पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शरीर के कई हिस्सों में से खून के थक्के जमने के निशान है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह भी साबित हुआ है कि पीड़िता के शरीर और प्राइवेट पार्ट पर जितने भी चोटों के निशान है वह उसे मौत से पहले दिए गए थे पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल ऑफिसर ने बताया है कि दोनों हाथों से गला घोटने के कारण पीड़िता की मौत हुई है। केवल इतना ही नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक लेडी डॉक्टर के यौन उत्पीड़न की संभावना का भी जिक्र किया गया है।

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