India News (इंडिया न्यूज), L&T Chairman: लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन का एक बयान फिर विवादों में आ गया है। इस बार उन्होंने मजदूरों को मिलने वाली सरकारी कल्याणकारी योजनाओं पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि, इन कल्याणकारी योजनाओं के कारण मजदूर काम पर नहीं आना चाहते हैं। मजदूरों ने इसके बजाय आराम को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, वह 11 फरवरी को चेन्नई में सीआईआई के मिस्टिक साउथ ग्लोबल लिंकेज समिट 2025 में बोल रहे थे। 

एसएन सुब्रमण्यन ने क्या कहा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन लाइन में मजदूरों को ढूंढना मुश्किल हो गया है। क्योंकि उन्हें अपने गृहनगर में आराम मिल रहा है और इस वजह से वे काम करने के लिए पलायन नहीं करना चाहते हैं। सुब्रमण्यन ने कहा कि मनरेगा, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और जनधन जैसी सरकारी योजनाओं के कारण मजदूरों को जुटाना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि, भारत में पलायन एक अजीबोगरीब समस्या है, एलएंडटी को चार लाख कर्मचारियों की जरूरत के लिए 16 लाख लोगों की भर्ती करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में कामगारों की संख्या भारत से 3 से 3.5 गुना ज्यादा है।

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पहले भी विवादों में रहे थे सुब्रमण्यम

सुब्रमण्यन के मुताबिक, उनकी कंपनी के पास कामगारों को जुटाने, भर्ती करने और उन्हें काम पर रखने के लिए एक समर्पित टीम है। इसके बावजूद, उनकी कंपनी को कामगारों को काम पर रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पिछले महीने सुब्रमण्यन के एक बयान से पूरी दुनिया में भारी हंगामा हो गया था। दरअसल उन्होंने ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ पर एक विवादित बयान देकर बवाल मचा दिया था। उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि लोग हफ्ते में 90 घंटे काम करें। सुब्रमण्यन के मुताबिक, वह चाहते हैं कि लोग वीकेंड पर भी दफ्तर आएं और काम करें। उन्होंने अपने कर्मचारियों से कहा था कि वे वीकेंड पर घर बैठे अपनी पत्नियों को कितना घूरेंगे या उनकी पत्नियां उन्हें कितनी देर तक घूरेंगी। सुब्रमण्यन के इस बयान की काफी आलोचना हुई थी।

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