India News (इंडिया न्यूज), Indian Air Force Radar : भारत दोनों तरफ से अपने दुश्मनों से घिरा हुआ है। एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन है। दोनों साथ में मिलकर भारत के खिलाफ साजिशे करते रहते हैं। इन दोनों से निपटने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है। अब इसी को और मजबूती देने के लिए 12 मार्च को दिल्ली में रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ 2,906 करोड़ की डिल पर दस्तखत किए गए हैं। इसके मद्देनजर भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए रक्षा मंत्रालय ने लो लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार की खरीद के लिए करार किया है। यह रडार DRDO की तरफ से विकसित किया गया है।

पड़ोसी मुल्कों के अलावा दुनिया के सभी देशों में बज रहा है भारत का डंका, वैश्विक नेता बने PM Modi

LLTR (अश्विनी) की खासियत

बता दें कि LLTR (अश्विनी) एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक फेज़्ड एरे मल्टीफंशन रडार है। इसकी मजबूती के अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये बड़े आराम से दुशमन के फाइटर को ट्रैक कर सकते है। इसके अलावा हाई स्पीड वाले ड्रोन, मिसाइल के साथ धीमी गति से आने वाले हेलिकॉप्टर इस रडार से बच नहीं सकता। यहीं नहीं
इसकी रेंज 200 किलोमीटर की है। यह 30 मीटर से 15 किलोमीटर की उंचाई तक के इलाके को स्कैन कर सकता है।

इसी सबसे खास बात ये है कि इस रडार में इंटीग्रेटेड आईडेंटिफिकेशन फ्रेंड ऑर फो यानी की अपने और दुशमन के एयरक्राफ्ट की पहचान कर सकता है। यह मोबाइल रडार एडवांस इलेक्ट्रोनिक काउंटरमेजर खूबी से लेस है। इस रडार को किसी भी ‘टेरेन के वॉर जोन में तैनात किया जा सकता है। यह -20 डिग्री से 55 डिग्री के तापमान में आसानी से ऑपरेट कर सकता है।

कैसे करेगा काम?

रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐरे रडार कई सारे छोटे छोटे और अलग अलग एंटीना से मिलकर एक बडे एंटीने की तरह एक साथ काम करते हैं। यह एक रिसीवर या ट्रांसमीटर से जुड़ा होता है। जब भी इस रडार को ऑन किया जाता है तो एक वेव फ्रंट बनाते हैं। चूकी एक एंटीना से निकलने वाली रेडियो तरंगें गोलाकर होती है और जब कई एंटिना एक साथ काम करते है तो उनकी रेडियो तरंगें एक दूसरे पर सुपरइंपोज होकर एक सीधी लाईन बना देते हैं। आसान भाषा में कहे तो जिस तरफ एंटीना को तैनात किया गया होता है वह पूरा इलाका सिक्योर हो जाता है। जैसे ही दुश्मन का कोई एयरक्राफ्ट या एरियल अटैक उस वेव फ्रंट को पार करता है तो उसकी हर जानाकरी वो ट्रांसमीटर से जुड़े कंप्यूटर तक पहुंच जाती है।

स्पेसएक्स के स्टारलिंक के इस्तेमाल के लिए भारतीय यूजर्स को देनी होगी मोटी रकम, यहां जाने कितने का पड़ेगा प्लान का सब्सक्रिप्शन ?