India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Demands of Ulemas from MVA: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी का हिस्सा कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की राजनीति कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस हमेशा से अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता देने के लिए दूसरे वर्गों को कमजोर करती रही है। जिसका सबूत कर्नाटक में ओबीसी कोटे से अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना है। हर मामले में मुसलमानों के प्रति कांग्रेस का रवैया हमेशा से जरूरत से ज्यादा रहा है। ऐसे में बीजेपी हमेशा आरोप लगाती है कि अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता देने के साथ ही कांग्रेस ने हिंदुओं समेत दूसरे धर्मों को भी कमजोर करने का काम किया है।
भाजपा लगाती रही है आरोप
बता दें कि, भाजपा नेता लगातार दावा करते रहते हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत जैसे कानूनों को छूट दी गई। कांग्रेस ने कभी भी तीन तलाक जैसी क्रूर प्रथाओं का विरोध नहीं किया। मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता के अधिकार से वंचित करने में भी कांग्रेस सबसे आगे रही। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को भी राजीव गांधी की सरकार ने पलट दिया था। वहीं शाहबानो मामले में मुसलमानों को लेकर कांग्रेस की भूमिका स्पष्ट हो गई, ऐसे आरोप भाजपा की ओर से लगातार आरोप लगाए जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्टैंड लिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यक समुदाय का है। वहीं अब कांग्रेस ने वक्फ सुधार विधेयक का विरोध करने का स्टैंड लिया है।
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क्या है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांगें?
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। इस बीच चर्चा है कि बदले में कांग्रेस ने उलेमा बोर्ड की 17 मांगों को पूरा करने का वादा किया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को इस पर धैर्य रखने की सलाह दी है। दरअसल, उलेमा बोर्ड ने मांग की है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को एक हजार करोड़ का फंड दिया जाए। उलेमाओं की मांग के मुताबिक, 2012-2024 तक दंगों में शामिल मुस्लिम बच्चों पर दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएंगे। यह असामाजिक तत्वों को मैदान देने की कोशिश है।
मुस्लिम बच्चों को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने की मांग
बता दें कि, आरक्षण के लिए आंदोलन शुरू हो गए हैं। लेकिन पुलिस भर्ती में मुस्लिम बच्चों को प्राथमिकता देने की मांग की जा रही है। कांग्रेस के सत्ता में आने पर सरकारी समिति में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के मुफ्ती, मौलाना, इमाम, तालीम और हाफिज को शामिल करने की भी मांग की जा रही है। बता दें कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवादी विचारधारा का संगठन है। जब भी देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आती है, तो संघ के स्वयंसेवक मौके पर पहुंच जाते हैं। संघ के स्वयंसेवक पूरे देश में समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। साथ ही कांग्रेस के सत्ता में आने पर आरएसएस और अन्य हिंदू संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का आश्वासन मांगा गया है।
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