India News (इंडिया न्यूज), Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि का त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’, जब महाशिवरात्रि का त्योहार इतना करीब है तो भगवान शिव के कुछ प्रतीकों के बारे में जानना बहुत जरूरी है, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी..

महादेव के गले में सर्प

भगवान शिव अपने गले में फूलों की माला या किसी धातु की माला नहीं पहनते हैं। उन्होंने गले में वासुकी नाग को धारण किया हुआ है। कहा जाता है कि यह भूत, वर्तमान और भविष्य का एक सूचक है। इसके अलावा इससे यह भी पता चलता है कि सभी तमोगुणी चीजें उनके अधीन होती है।

महादेव की तीसरी आंख

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव का क्रोध चरम पर होता है तो वे अपनी तीसरी आंख खोलते हैं। उनकी तीसरी आंख ज्ञान और ऊर्जा का प्रतीक है, जिसके खुलने पर विनाश होता है। हालांकि क्रोध और काम महादेव के अधीन हैं।

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मस्तक पर चंद्रमा

भगवान शंकर के सिर पर चंद्रमा मुकुट की तरह सुशोभित है, जिसके कारण उन्हें सोम और चन्द्रशेखर भी कहा जाता है। साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और मन भोलेनाथ के अधीन है।

जटाओ में गंगा

भगवान शंकर की जटाओं में मां गंगा विद्यमान हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मान्यता है कि देवी गंगा भगवान शिव की जटाओं से ही स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। बता दें कि, मां गंगा पवित्रता और कल्याण का प्रतीक हैं, जिनके दर्शन मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

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