India News (इंडिया न्यूज),Maulana Arshad Madani: भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, ऐसे में देश में कई धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया जा रहा है। वहीँ इस कार्रवाई के चलते अब जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी भड़क उठे। उन्होंने कहा कि, यह कोई आम सा सम्मेलन नहीं है, बल्कि वर्तमान हालात में मदरसों की हिफाज़त को सुनिश्चित करने के लिए एक गंभीर मंथन है और आगे की रणनीति तय करने का एक अहम अवसर है। इतना ही नहीं इस दौरान मौलाना मदनी ने बताया कि मदरसों में क्या होता है। इसे लेकर उन्होंने कहा कि ये मदरसे सिर्फ शिक्षा के केंद्र नहीं हैं, इनका मकसद सिर्फ पढ़ाना-लिखाना नहीं बल्कि देश और क़ौम की सेवा के लिए नई नस्लों की सोच और तालीम को तैयार करना भी रहा है।
आखिर क्यों भड़के मदनी
आपकी जानकारी के लिए बता दें मौलाना मदनी अवैध मदरसों पर हो रही कार्रवाई को लेकर बुरी तरह भड़के हुए हैं। इस दौरान मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आज जिन मदरसों को गैरकानूनी कहकर जबरदस्ती बंद किया जा रहा है। ये वही मदरसे हैं, जहां से सबसे पहले अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ आवाज उठी थी। इस दौरान उन्होंने शहीदों को याद करते हुए कहा कि जब 1803 में पूरा भारत अंग्रेजों के कब्जे में चला गया था, तब दिल्ली से मशहूर धार्मिक व रूहानी हस्ती हजरत शाह अब्दुल अजीज मोहद्दिस देहलवी ने मदरसा रहिमिया से एक टूटी चटाई पर बैठकर ऐलान किया कि देश गुलाम हो चुका है, इसलिए गुलामी से आजादी के लिए संघर्ष करना एक धार्मिक कर्तव्य है।
उलमा ने दी कर्बानी-मौलाना मदनी
इतना ही नहीं इसके अलावा मौलाना मदनी ने कहा कि 1857 की क्रांति, जिसे अंग्रेज़ों ने गदर का नाम दिया था, उसी का नतीजा था कि दिल्ली में 32,000 उलमा को शहीद कर दिया गया। हमारे बड़ों की डेढ़ सौ साल की कुर्बानियों के बाद यह देश आजाद हुआ। इसके बाद उन्होंने कहा कि, दारुल उलूम देवबंद की स्थापना भी इसी मकसद से की गई थी कि वहां से देश की आजादी के लिए नए सपूतों को तैयार किए जाएं। उन्होंने दुःख जताते हुए कहा कि आज इतिहास से अनजान लोग उन्हीं मदरसों को आतंकवाद का अड्डा बता रहे हैं, ये आरोप भी लगाया जाता है कि वहां कट्टरपंथ की तालीम दी जाती है।