India News (इंडिया न्यूज), Mohammed Shami Roza controversy: दुबई में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेल गए चैंपियन टॉफी के पहले सेमीफाइनल में मैच के दौरान भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने एनर्जी ड्रिंक क्या पी लिया, इस पर देश में राजनीतिक बवाल मच गया।अब मुस्लिम समुदाय द्वारा शमी को रमजान के महीने में ड्रिंक पीने के लिए ट्रोल किया जा रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मोहम्मद शमी की रोजा न रखने और सार्वजनिक तौर पर एनर्जी ड्रिंक पीने की आलोचना की। इतना ही नहीं मौलाना ने मोहम्मद शमी को इस्लाम का अपराधी बताते हुए उन्हें अपराधी तक कह दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि इस्लाम के नजरिए से क्या सही है और क्या शमी ने वाकई कुछ गलत किया है?
रमजान के पवित्र महीने में हर बालिग मुसलमान के लिए रोजा फर्ज (आवश्यक) घोषित किया गया है। इस्लाम के पांच बुनियादी सिद्धांतों में रोजा रखना भी शामिल है। रोजा हर मुसलमान के लिए फर्ज जरूर घोषित किया गया है, लेकिन इस्लाम कई परिस्थितियों में रोजा न रखने की भी इजाजत देता है। इसके बावजूद मोहम्मद शमी का क्रिकेट मैच के दौरान रोजा न रखना एक विवाद बन गया है, जिसे लेकर समाज में बहस भी शुरू हो गई है।
मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर हुई जमकर आलोचना
मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि इस्लाम ने रोजा अनिवार्य है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर रोजा नहीं रखता है तो वह पापी है। मोहम्मद शमी ने रोजा नहीं रखा, जबकि रोजा उसका अनिवार्य कर्तव्य है। शमी ने रोजा न रखकर पाप किया है। मोहम्मद शमी को ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मैं उन्हें इस्लाम के नियमों का पालन करने की हिदायत और सलाह देता हूं। क्रिकेट खेलें, खेल खेलें, सारे काम करें, लेकिन अल्लाह ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरा करें। मोहम्मद शमी को सब समझना चाहिए। शमी को अपने पापों के लिए अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए।
इस्लाम की नजर में शमी कितने गुनहगार
इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती जीशान मिस्बाही ने एक मीडया चैनल पर कहा कि इस्लाम में हर मुसलमान के लिए रोजा अनिवार्य जरूर है, लेकिन कई मामलों में रोजा न रखने की छूट भी है। मिस्बाही का कहना है कि बीमारी के दौरान रोजा न रखने की छूट है। इस्लाम में साफ कहा गया है कि अगर कोई बीमार है, रोजा रखने से उसकी तबीयत खराब हो सकती है तो वह रोजा छोड़ सकता है। मौलाना मिस्बाही कहते हैं कि इस्लाम यात्रियों को रोजा न रखने की भी इजाजत देता है। कुरान से साबित है कि अगर कोई सफर में है तो उस दिन रोजा न रखने की छूट है। अगर सफर के दौरान रोजा छूट जाए तो रोजा रखें और बाद में पूरा करें। अगर मोहम्मद शमी ने रोजा नहीं रखा तो उन्होंने कुछ गलत नहीं किया, क्योंकि वह सफर में हैं। इसके अलावा रोजा रखना या न रखना उनका निजी मामला है।
‘उन्हें रोजा न रखने की इजाजत है’
शमी इस्लाम के कोई नेता नहीं हैं, जिनकी रोजा न रखने के लिए आलोचना की जा रही है। जिशान मिस्बाही कहते हैं कि मोहम्मद शमी की सार्वजनिक तौर पर एनर्जी ड्रिंक पीने की आलोचना करना सही नहीं है, क्योंकि उन्हें रोजा न रखने की इजाजत है क्योंकि वह सफर में हैं, इसलिए वह खा-पी सकते हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच यानी रोजे के समय सार्वजनिक तौर पर खाने-पीने की मनाही शिष्टाचार का हिस्सा है। यह सम्मान की बात है, लेकिन अगर कोई खा-पी रहा है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इसलिए मैं मोहम्मद शमी की आलोचना करना उचित नहीं समझता।
मुफ्ती मिस्बाही ने आगे कहा कि अगर कोई मुसलमान रोजे के दौरान सार्वजनिक रूप से खा-पी रहा है तो आलोचना करने से पहले उसके खाने-पीने की असली वजह जान लेनी चाहिए। उसके बाद ही कोई बयान देना चाहिए, बिना जाने-समझे बयान देने से बचना चाहिए। मोहम्मद शमी मैदान में क्रिकेट मैच खेल रहे थे। ऐसे में वह पानी पीने कहां जाएंगे? जब वह सफर पर हैं और रोजा नहीं रख रहे हैं तो वह कुछ भी खा-पी सकते हैं। ऐसे में किसी दूसरे व्यक्ति की आलोचना करना सही नहीं है।
कभी राम मंदिर के खिलाफ लड़ा था केस; अब हिंदू भक्ती में डूबे इकबाल अंसारी, दिखीं गंगा-जमुनी तहजीब
‘कुरान यात्रा के दौरान रोजा न रखने की इजाजत देता है’
वहीं, मुफ्ती ओसामा नदवी का भी कहना है कि रमजान में सफर करने वालों को रोजा न रखने की इजाजत है, लेकिन सफर 92.5 किलोमीटर से ज्यादा होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति रोजे के दौरान 92.5 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा कर रहा है और उसे यात्रा में कोई परेशानी हो रही है या वह बीमार है तो उसे रोजा न रखने की इजाजत है। ऐसी स्थिति में अगर कोई रोजा नहीं रखता है तो वह दोषी नहीं होगा, इसीलिए विवाद खड़ा करना और रोजा न रखने पर मोहम्मद शमी को अपराधी बताना गलत है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी को इस्लाम को ठीक से समझना चाहिए और सिर्फ खबरों और चर्चा में बने रहने के लिए बयान देना गलत है।