India News (इंडिया न्यूज) Mohan bhagvat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का स्पष्ट और गंभीर आकलन किया है और कहा है कि भारत के पास शक्तिशाली बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब संघ अपने शताब्दी वर्ष की तैयारी कर रहा है और हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है।

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मोहन भागवत ने क्या कहा?

पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भागवत ने कहा, “हम विश्व व्यापार पर हावी होने के लिए शक्तिशाली नहीं बनना चाहते, बल्कि इसलिए बनना चाहते हैं ताकि हर कोई शांतिपूर्ण, स्वस्थ और सशक्त जीवन जी सके। हमारी सीमाओं पर दुष्ट शक्तियां सक्रिय हैं, इसलिए हमें ताकत हासिल करनी होगी।”

संघ प्रमुख ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सुरक्षा केवल गवर्मेंट या सेना का काम नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत समाज से होती है। उन्होंने हिंदू समाज को आत्मरक्षा के लिए तैयार रहने की सलाह देते हुए कहा, “आपको अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी। दूसरों का इंतजार मत करो। जब हिंदू मजबूती से खड़ा होता है, तो दुनिया उसे गंभीरता से लेती है।”

आएसएस चीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सीमा या बैरक तक सीमित नहीं माना, बल्कि इसे मानसिक, सांस्कृतिक और सक्रिय बताया। उन्होंने कहा कि जातीय सद्भाव, पारिवारिक मूल्य और पारिस्थितिकी के प्रति जिम्मेदारी भी सुरक्षा के घटक हैं। उन्होंने कहा कि टूटा हुआ समाज अपनी सुरक्षा कैसे करेगा?

युद्ध ना हो , इसकी तैयारी करें

मोहन भागवत ने कहा, “हमें ऐसी शक्ति मिलनी चाहिए कि हम वैश्विक स्तर पर अजेय हो जाएं। सच्ची शक्ति आंतरिक होती है। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। कोई भी शक्ति, चाहे वह कई देशों की संयुक्त शक्ति ही क्यों न हो, हमें पराजित नहीं कर सकती। हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन हम युद्ध टालने की तैयारी करते हैं।”

हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए चिंता

मोहन भागवत ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के बारे में बात करते हुए कहा कि अब वे भागने के बजाय लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “इस बार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जो गुस्सा सामने आया है, वह अभूतपूर्व है। अब स्थानीय हिंदू भी कह रहे हैं कि हम भागेंगे नहीं, अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे। यही संघ का उद्देश्य है। जहां भी हिंदू हैं, हम अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उनके लिए हर संभव प्रयास करेंगे।”

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