India News (इंडिया न्यूज), Most Dangerous Indian Spy In Pakistan: भारत में देश के लिए जान देने वाले वीर कई हुए हैं। जो देश के हर नागरिक के दिलों में बसते रहेंगे। ऐसा ही एक वीर था वो जासूस, जो पाकिस्तान में दशकों तक रहा और वहां की आर्मी का सबसे भरोसेमंद और सक्सेसफुल जवान बन गया। उसने कई सालों तक पाक के घटिया मंसूबे भारतीय अधिकारियों तक पहुंचाए और सैकड़ों लोगों की जान भी बचाई। हालांकि, आखिर में उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे सुनकर इंसानियत भी कांप गई। फिर भी इस देशभक्त के मुंह से भारत के खिलाफ एक शब्द तक नहीं निकला।
किलर लुक्स देखकर हैरान थी दुनिया
ये देशभक्त जासूस थे रविंद्र कौशिक, जिन्हें भारत का सबसे खतरनाक स्पाई भी कहा जाता है। बहादुरी के अलावा उनके लुक्स के किस्से भी खूब वायरल हैं। उन्हें बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना का हमशक्ल कहा जाता था। वो पाकिस्तान में अपने लुक्स के लिए भी खूब चर्चा में रहे थे। बहादुरी और शातिर दिमाग का कॉम्बिनेशन ऐसा कि दुश्मन देश में वो आर्मी मेजर तक बन गए। उनसे बड़े-बड़े अफसर भी खौफ खाते थे और यही वजह है कि वो दुनिया भर में ‘ब्लैक टाइगर’ नाम से मशहूर हो गए थे।
धरे रह गए Pakistan के मंसूबे
उन्होंने खुफिया एजेंसी RAW ने एक लखनऊ में नेशनल लेवल की एक मीटिंग के दौरान स्पॉट किया था। इसके बाद उन्हें एजेंसी में लेकर भयंकर ट्रेनिंग दी गई। जहां इस्लामिक तौर-तरीकों के साथ-साथ उन्हें उर्दू और अरबी बोलना सिखाया गया। वो पंजाबी पहले से ही बोल लेते थे। ट्रेनिंग लेकर वो 1978 में पाकिस्तान के कराची में बस गए थे, जहां अखबार में सेना भर्ती के एक विज्ञापन ने उनके लिए आर्मी का रास्ता खोला था। पाकिस्तानी आर्मी में वो इतने पावरफुल हुए कि मेजर के पद तक पहुंच गए।
18 सालों तक कैसे देखा धरती का नर्क?
दुश्मन देश में उन्होंने 1979 से 1983 तक काम किया, जहां RAW से रविंद्र को टास्क भेजे जाते थे। इसी दौरान उन्हें पाकिस्तानी लड़की से प्यार हो गया, दोनों के शादी की और एक बेटा भी हुआ। फिर वो दिन भी आया जब वो अपने परिवार से दूर हो गए, वो आखिरी बार अपनी फैमिली से 1981 में मिले थे और 1983 में उनका भेद खुल गया और पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद उन्होंने 18 सालों तक धरती पर नर्क जैसा जीवन झेला।
रवींद्र कौशिक पर पाकिस्तान की जेल में भयानक टॉर्चर किए गए लेकिन उन्होंने अपने देश के खिलाफ एक शब्द तक नहीं निकाला। उनके परिवार ने उस वक्त की भारत सरकार से मदद भी मांगी थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। टॉर्चर झेलते और पाकिस्तान की कई जेलों में ट्रांस्फर होते-होते उन्हें टीबी और दिल की बीमारी हो गई फिर वो दिल में हिंदुस्तान लिए साल 2001 में चल बसे।