India News (इंडिया न्यूज), Ali Khan Mahmudabad : ऑपरेशन सिंदूर के बाद फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट करने के चक्कर में अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बुधवार को अली को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अंतरिम जमानत दे दी गई। लेकिन अली की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं। असल में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और एनके सिंह की बेंच ने अली को अंतरिम जमानत दी, लेकिन दो FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट की तरफ से हरियाणा पुलिस को 24 घंटे में तीन IPS अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाने का आदेश दिया, जिसमें एक महिला अधिकारी शामिल होगी।

इसके अलावा अली को अपना पासपोर्ट भी सोनीपत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपने का निर्देश दिया गया है। अली सोशल मीडिया पर इस मामले या आतंकी हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई पर कोई टिप्पणी करने को भी मना किया गया है। इस मामले के बाद से उनके नाम और लखनऊ के मशहूर महमूदाबाद राजघराने की चर्चा सुर्खियों में है।

महमूदाबाद राजघराने से आते हैं अली खान

बता दें कि 42 वर्षीय अली खान महमूदाबाद का जन्म 2 दिसंबर 1982 को लखनऊ में हुआ है और वो यूपी और अवध क्षेत्र के प्रभावशाली महमूदाबाद राजघराने से आते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि उनके पिता मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान हैं, उन्हें स्थानीय लोग राजा साहब कहते हैं।

अली के पिता महमूदाबाद से दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त की गई पारिवारिक संपत्तियों को वापस पाने के लिए उन्होंने 40 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी, जैसे लखनऊ में बटलर पैलेस, हलवासिया मार्केट, हजरतगंज और महमूदाबाद किला। इस परिवार की सीतापुर, नैनीताल और देश के दूसरे हिस्सों में भी संपत्तियां हैं।

अली की मां रानी विजय पूर्व विदेश सचिव जगत सिंह मेहता की बेटी हैं, जिन्होंने 1976-79 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया था। अली की शादी जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू की बेटी से हुई है।

मुस्लिम लीग और सपा से क्या है कनेक्शन?

दरअसल अली के दादा मोहम्मद आमिर अहमद खान महमूदाबाद के आखिरी राजा थे और आजादी से पहले मुस्लिम लीग के बड़े समर्थक थे। उस दौरान उन्होंने मुस्लिम लीग को काफी दान दिया था। इसके अलावा अली 2018 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और 2019 से 2022 तक पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे। हालांकि, 2022 के बाद उनकी कोई औपचारिक राजनीतिक भूमिका नहीं रही।

अली ने लखनऊ के ला मार्टिनियर स्कूल से पढ़ाई की और फिर यूके के किंग्स कॉलेज स्कूल और विनचेस्टर कॉलेज गए। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमफिल और पीएचडी की। उन्होंने सीरिया के दमिश्क में अरबी सीखी और मध्य पूर्व की अपनी यात्राओं के आधार पर नेशनल जियोग्राफिक जैसे प्रकाशनों के लिए लिखा।

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