India News ( इंडिया न्यूज़ ), Gwalior Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के जिले ग्वालियर विधानसभा सीट की बात की जाए तो इसे मध्य भारत के समय से ही ग्वालियर विधानसभा के नाम से जाना जाता था। लेकिन आज इस विधानसभा का समय-समय पर हुए परिसीमन के बाद विस्तार कर दिया गया है। जहां से प्रदेश के सबसे चर्चित रहने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ी थी और उसके बाद 2020 के उप चुनाव में बीजेपी के टिकट से जीत दर्ज कर प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री बने।
विधानसभा 1951 में अस्तित्व में आई
बता दें, इस विधानसभा क्षेत्र में ग्वालियर जिले की खास पहचान है। यहां पर ग्वालियर का ऐतिहासिक किला मौजूद है, साथ ही सुर सम्राट तानसेन का समाधि स्थल भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। यह विधानसभा 1951 में अस्तित्व में आई,तब यह विधानसभा तत्कालीन मध्य भारत राज्य के 79 विधानसभा क्षेत्रों में से एक थी। वहीं, प्रद्युमन सिंह तोमर ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और बीजेपी के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवैया को 21,044 वोट से करारी शिकस्त दी थी। वहीं 2020 में कराए गए उपचुनाव में प्रद्युमन सिंह तोमर ने कांग्रेस के सुनील शर्मा को 33,123 वोटों से हरा दिया और विधायक चुने गए।
जानिए क्या है राजनीतिक इतिहास
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र को जातिगत समीकरण के हिसाब से ब्राह्मण, मुस्लिम और क्षत्रिय बाहुल्य आबादी वाले क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। यही वजह है कि इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण समाज के वोटरों के अधिक संख्या में होने के चलते ही बीजेपी से दो बार ब्राह्मण नेता धर्मवीर जीत चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस बार विधानसभा चुनाव में प्रद्युमन सिंह तोमर के लिए आसान नहीं है। राज्य में बिजली जैसी समस्याओं के करण तोमर के ऊपर कई बड़ी मुसीबत आई थी।
ये भी पढ़ें – Surkhi Vidhan Sabha Seat : क्या गोविंद सिंह राजपूत का वर्चस्ल…